समाज सेवा के संस्कार बिरासत में मिले हैं – सरदार  दर्शन सिंह धालीवाल

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 
शिमला। राष्ट्र्पति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 17 बे प्रवासी भारतीय दिवस पर इंदौर में  ब्यापार और  समाज सेबा में  बिशिष्ट योगदान के लिए इस बर्ष  प्रतिष्ठित     प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से   अलंकृत   किये गए   सरदार  दर्शन सिंह धालीवाल   का कहना है कि समाज सेवा दान पुण्य और परोपकार के संस्कार उन्हें पूर्वजों से विरासत में मिले हैं। अमेरिका में एक हज़ार पैट्रोल पंप, रियल एस्टेट और अन्य व्यापारिक संस्थानों के मुखिया के नाते उनकी गिनती अमेरिका में चोटी के धनाढ्य  लोगों में की जाती है।
सरदार   दर्शन सिंह धालीवाल का कहना है कि उनके पिता सरदार सूबेदार करतार सिंह गांव के सरपंच थे और इस नाते उन्होंने   पैतृक गांव में स्थानीय लोगों के लिए पीने के स्वच्छ पानी की सुविधा मुहैया करवाने के लिए अपने खर्च से हैण्ड पंप स्थापित किया था जबकि उस समय परिवार की आर्थिक हालत सामान्य मात्र ही थी। वह याद करके कहते हैं कि एक बार गांव में स्थित ‘‘बाबा सिद्ध’’ मंदिर के प्रबंधकों ने उनके घर आम की टोकरी भेजी, जब पिता ने उन्हें मुफ्त के आम चूसते हुए देखा तो वह काफी विचलित हुए और उन्होंने सरपंच के पद से त्याग पत्र दे दिया। गांव वालों ने जब उन्हें त्यागपत्र वापिस लेने के लिए दबाव डाला तो उन्होंने कहा कि सरपंच रहने की बजाये उन्हें अपने बच्चों का भविष्य प्यारा है और इस तरह मुफ्त की रेबड़ियों से  मेरे बच्चे  बर्बाद हो जाएंगे।
अपने अमेरिका जाने के सपने के बारे में  सरदार  दर्शन सिंह धालीवाल ने    बताया कि गांव में पढ़ने के दौरान जब उन्हें प्रवासी पंजाबियों ने अमेरिका की सांस्कृति , बिकास की सम्भाबनाओं , आधुनिक जीवन शैली और ब्यक्तिगत स्वतन्त्रता    के बारे में बताया तो वह काफी उत्साहित हो गए और  उन्हें अमेरिकी जीवन काफी आर्कषक लगा।
किसान आंदोलन के दौरान सिंघू बार्डर पर किसानों को लंगर तथा अत्याधुनिक सुविधाएंे प्रदान करने के बारे में वह बताते हैं कि उन्हें इसका विचार मीडिया रिपोर्टस के बाद आया।
उन्होंने बताया कि अमेरिका में जब उन्होंने टेलीविजन में कड़कती ठंड में  किसानों को बारिश के पानी के बीच सोते हुए देखा तो उन्हें अत्यंत मानसिक पीढ़ा पहुंची।  वह दूसरे दिन दिल्ली पहुंचे तो उन्होंने किसानों को बारिश से बचने के लिए टेंट तथा खाघान्न सामग्री की व्यवस्था की ताकि वह अपना आंदोलन शांतिपूर्वक चला सकें।
सरदार  दर्शन सिंह धालीवाल ने  कहा कि उन्हें सिंघू बार्डर पर किसानों को संबोधित करने का अनुरोध भी किया गया तथा तथा  किसान संगठन उन्हें स्टेज पर सम्मानित करना चाहते थे लेकिन इसके लिए उन्होंने विनम्रतापूर्व मना कर दिया क्योंकि उन्होंने केवल मानवता और करूणा के आधार पर किसानों की सेवा की थी तथा वह इसका कोई राजनीति लाभ नहीं लेना चाहते थे व किसानों को सुख सुविधाऐं मुहैया करवाने के बाद वह चुपचाप अमेरिका चले गए थे ।
किसान आंदोलन के दौरान हवाई अड्डे से वापिस अमेरिका भेजने के बारे में वह कहते हैं कि जब वह इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे तो अधिकारियों ने उन पर यह दबाव बनाना शुरु कर दिया की वह किसानों को समझाबुझा कर वापिस अपने गांव को भेज दें तथा किसान आंदोलन को समाप्त करवा दें। लेकिन उन्होंने अधिकारियों को सपष्ट बताया कि वह किसान आंदोलन का हिस्सा नहीं है तथा केवल मानवीय आधार पर किसानों की सेवा की है और उनका राजनीति से कतई तालुक नहीं है जिसके बाद कुछ अधिकारियों का सुझाव था कि वह केवल हाँ कर दें बाद में कुछ करें या न करें। उन्होंने कहा कि जब अधिकारियों को झूठा आश्वासन देने से भी मना दिया तो उन्हें काफी देर तक हवाई अड्डे पर रोके जाने के बाद वापिस अमेरिका चले जाने को कहा गया। जिसके बाद उन्होंने विनम्रतापूर्वक वापसी की राह पकड़ ली। उनका कहा है कि उन्हें इसके लिए किसी के प्रति कोई द्वेष या बदले की भावना नहीं है क्योंकि हर चीज़ भगवान की मर्जी से होती है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात के बारे में उन्होंने बताया कि उन्हें अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया कि प्रधानमंत्री जी विश्वभर में रह रहे सिखों के चुनिंदा प्रतिनिधियों से मिलना चाहते हैं तथा उन्होंने मुझे आमंत्रित किया तथा उन्होंने प्रधान मंत्री का निमन्त्रण स्बीकार  कर लिया और निर्धारित तिथि पर प्रधान मंत्री से मिलने के लिए उनके आबास  स्थल पर  पहुंच गए   जहां दुनिया भर से 150 प्रतिष्ठित सिख प्रतिनिधि बैठे थे/
उन्होंने कहा की मुलाकात  स्थल पर काफी टेबल लगाए गए थे तथा अपने   शान्त  स्बभाब के अनुरूप  सबसे पीछे      एक कोने में  टेबल पर बैठ गए  क्योंकि उन्हें भीड़ पसंद नहीं है / उन्हें बताया गया था की प्रधान मन्त्री जी प्रतेयक टेबल     पर  खुद आ कर मेहमानों का अभिबादन करेंगे तथा बह अपने टेबल पर बैठ कर  प्रधान मन्त्री जी का इन्तजार कर रहे थे  तो उन्होंने देखा की अनेक सिख नेता प्रधान मंत्री जी को घेर कर खड़े हैं  तथा काफी खुशनुमा माहौल में उनकी चर्चा चल रही थी /  हालाँकि मुझे भी  चर्चा में सिरकत करने के लिए कहा गया लेकिन मैंने मना कर दिया /  जब सिख नेता प्रधानमंत्री जी से मिल रहे थे तो इसी बीच  प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी  मेरे पास आये और उन्होंने कहा  की  कि प्रधानमंत्री जी मुझसे  मिलना चाहते हैं तो वह अधिकारी  एस्कॉर्ट करके  उन्हें प्रधामंत्री के पास ले गए।
 सरदार  दर्शन सिंह धालीवाल   कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री जी ने तत्काल पहचान लिया व सभी सिख   प्रतिनिधियों के सामने  उन्हें   एयरपोर्ट से वापिस भेजने के लिए माफी मांगी जिससे वह बहुत प्रभावित हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह उनका आमंत्रण स्वीकार करने के लिए आभारी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सिखों के लिए किए गए कार्यों से वह काफी प्रभावित हैं। उनका कहना है कि नरेंद्र मोदी जी ने सिखों को अथाह प्यार और सम्मान दिया है जोकि उन्हें आज तक नहीं मिला। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिखों के मृद्दों के प्रति काफी गंभीर हैं तथा 1984 दंगों सहित अनेक मुद्दों पर उन्होंने सार्थक कदम उठाकर सिखों के दिल में जगह बनाई है। विदेशों में खालिस्तान के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि केवल मुट्ठी भर सिरफिरे लोग खालिस्तान की बात करते हैं तथा प्रवासी भारतीय सिख मुख्यधारा भारत की एकता व संपन्नता के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
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