सहारा: प्रदेश के चार जिलों के किसानों के लिए मददगार बनी शिवा परियोजना 

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सरकार की शिवा परियोजना बन रही किसानों के लिए वरदान
सरकार की शिवा परियोजना बन रही किसानों के लिए वरदान

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

पालमपुर। हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकासउद्यान तथा जल शक्ति विभागों ने राज्य के लोगों को स्वाबलंबी बनाने की दिशा में शिवा परियोजना के माध्यम से अनोखी पहल की है। हिमाचल प्रदेश उप-उष्णकटिबंधीय बागवानीसिंचाई और मूल्य संवर्धन परियोजना (शिवा) एशियन विकास बैंक के सौजन्य से प्रदेश के चार ज़िलों बिलासपुरहमीरपुरमण्डी और कांगड़ा के 17 क्लस्टरों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में आरंभ की गई है। इन क्षेत्रों में फलों के लिए जलवायु की अनुकूलताकिसानों की मांग के अनुसार लाभदायिक फलों के बगीचे विकसित किये जा रहे हैं। इन चार ज़िलों के 170 हैक्टेयर क्षेत्र में जुलाई और अगस्त माह में अमरूदलीचीअनार और सिट्रस के हज़ारों बेहतर किस्म के पौधे रोपित किये जायेंगे।

पालमपुर उपमण्डल की ग्राम पंचायतरमेहड़ के घड़हूॅं-दैहण का चयन भी क्लस्टर के रूप में किया गया है। इस क्षेत्र के 50 किसान परिवारों के दस हैक्टेयर (250 कनाल) क्षेत्र में लीची की बेहतरीन क़िस्मों देहरादूनसहारनपुर और रोससेंटेड़ के तीन हज़ार पौधे रोपित किये जा रहे हैं। प्रदेश सरकार के उद्यानजल शक्ति तथा ग्रामीण विकास विभाग के सौजन्य से उन्नत क़िस्म के फलों को तैयार करने के लिए 8020 के अनुपात में किसानों को सहयोग दिया जा रहा है। इसमें ज़मीन के सुधार कार्य पर 80 प्रतिशत व्यय सरकार द्वारा किया जा रहा हैजबकि शेष 20 प्रतिशत हिस्से की ज़िम्मेवारी किसानों की रहेगी। इसमें भी किसानों को राहत प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा मनरेगा से लगभग 11 लाख रुपये व्यय किये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त बाड़बंदी और सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने पर पूरा व्यय सरकार द्वारा किया जा रहा है।
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घड़हूॅं निवासी सुरेंद्र कुमार पिछले 20 वर्षों से लुधियाना में कार्यरत थे। कोविड़-19 के चलते उन्हें नौकरी छोड़कर घर आना पड़ा। लॉकडाउन और कर्फ्यू के चलते वह पिछले दो-तीन माह से घर पर ही हैं। मौजूदा हालत में उन्हें नौकरी पर फिर लौटना मुश्किल लग रहा है। उन्हें रोजगार की चिंता सताने लगी थीलेकिन जयराम सरकार की शिवा परियोजना से स्वरोज़गार की आस जगी है। उन्होंने अब बागवानी को ही स्वरोज़गार के रूप में अपनाने का फैसला किया है।

शिवा प्रोजेक्ट के तहत अपने खेतों में काम कर रहे लोग
शिवा प्रोजेक्ट के तहत अपने खेतों में काम कर रहे लोग
रमेहड़ पचायत के जगदीश चंदरमेश चंदकुशल कुमारमेहताब सिंह और विधि चंद जैसे लगभग 50 परिवार जंगली और लावारिस पशुओं के आंतक के कारण खेतीबाड़ी छोड़ चुके थे। सैंकड़ो कनाल भूमि का कोई उपयोग न हो पाने के कारण भूमि जंगल बनती जा रही थी। इन किसानों का कहना है कि शिवा प्रदेश सरकार की बहुत अच्छी और लाभदायक योजना साबित होगी। उन्नत पौधेवैज्ञानिक परामर्श तथा सुझावबाड़बंदी की सुविधासिंचाईविपणन और प्रोसेसिंग तक की सहायता से किसानों में उत्साह के साथ आत्मविश्वास पैदा हुआ है। उनका कहना है कि लीची का बगीचा लगाने में सरकारी सहायता से हमारी युवा पीढ़ी भी इस ओर आकर्षित हो रही है।
विभागों के आपसी तालमेल से चल रही शिवा परियोजना में रमेहड़ गांव के लोगों को मनरेगा के तहत काम भी मिल रहा है। गांव की महिलाएं यहां काम करने में बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं। यहां काम कर रही अंजना देवीतृप्ता देवी और विद्या देवी जैसी कई ज़रूरतमंद महिलाएं रोज़गार पाकर खुश हैं और समय पर पैसे मिलने से प्रदेश सरकार का आभार प्रकट कर रही हैं।    
उपायुक्त कांगड़ाराकेश कुमार प्रजापति का कहना है कि यह प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना हैजिसमें तीन प्रमुख विभाग किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए सहायता उपलब्ध करवा रहे हैं। इस परियोजना में किसानों के शेयर 20 प्रतिशत निर्धारित है। सरकार ने इसे कम करने के लिए ज़मीन सुधार तथा अन्य कार्यों को मनरेगा के साथ जोड़ा है। इससे किसानों को राहत के साथ लोगों को घर के नज़दीक रोज़गार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं। 
किसानों को हर संभव सहायता उपलब्ध करवा रही सरकार
किसानों को हर संभव सहायता उपलब्ध करवा रही सरकार
 
विषयवाद विशेषज्ञ नरोतम कोशल का कहना है कि प्रदेश में फल उत्पादन की अपार संभावनायें हैं। शिवा परियोजना के अतंर्गत लोगों को फल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और इसमें किसानों का भी भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि रमेहड़ में तीन हज़ार उन्नत किस्म के लीची के पौधे रोपित किये जा रहे हैंजो किसानों को आर्थिक रूप में सुदृढ़ करेंगे। उन्होंने कहा कि ज़िला के अन्य क्षेत्रों के किसान भी क्लस्टर में फल उत्पादन का कार्य आरंभ करने के लिए सम्बंधित खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय में तैनात उद्यान विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।
 

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