शिवरात्रि स्पेशल: चिड़गाव की रणसार वैली में सौ पहले मिट्‌टी के नीचे दबा मिला था शिवलिंग, तब से धूमधाम से मनाई जाती है यहां शिवरात्रि

रणसार घाटी के टो़डसा में स्थित शिवजी का मंदिर। यहां स्थापित है सौ पहले मिट्‌टी के नीचे दबा मिला शिवलिंग
रणसार घाटी के टो़डसा में स्थित शिवजी का मंदिर। यहां स्थापित है सौ पहले मिट्‌टी के नीचे दबा मिला शिवलिंग
आदर्श हिमाचल ब्यूरो 
चिड़गांव।  महाशिवरात्रि का पावन त्यौहार देश सहित हिमाचल में भई धूम से मनाया जाता है। ऊपरी हिमाचल में शिवरात्रि  को बड़े पैमाने पर मनाते हैं बल्कि ये सालभर में मनाए जामे वाले त्यौहारों में सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। 
यह त्योहार देवों के देव महादेव शिव  और माता पार्वती की भव्य शादी का जश्न मनाता है, जो उर्वरता, प्रेम और सौंदर्य की देवी हैं – पार्वती, जिन्हें शक्ति (शक्ति) के रूप में भी जाना जाता है। शिव और शक्ति को प्रेम, शक्ति और साथ का प्रतीक माना जाता है। उनके बंधन – ‘महा शिवरात्रि’ की शुरूआत को चिह्नित करने वाला त्यौहार पूरे भारत में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है।
चिड़गांव की रणसार घाटी में टोड्सा में लगभग सौल पहले मिट्‌टी के नीचे दबा
शिवलिंग मिला था जिसे पूरी धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ यहां स्थित मंदिर में पूजा जाता है। तभी से यहां हर साल स्थानीय लोग भक्तमय माहौल में  शिवरात्रि के  पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
डॉ हंस राज शर्मा जो देवीधार में आयुर्वेदिक डॉक्टर के पद पर तैनात हैं, ने यहां शिव मंदिर जीर्णोद्धार सोसायटी का गठन किया और शिवलिंग को बिना छेड़े हए सुंदर मंदिर का निर्माण किया गया।
अब शिवरात्रि से एक दिन पहले रणसार घाटी के प्रमुख देवता  खनटू महाराज देविधार व रंनोल तथा महासू देवता टोडसा व परशुराम जी की रथ यात्रा के साथ कन्याएं देविधार से प्राकृतिक जल स्त्रोत से जल ले कर शिवमंदिर तक जल यात्रा निकालती हैं व जल से शिव लिंग का स्नान किया जाता है उसके पश्चात सभी को भण्डारे में भोजन कराया जाता है ।
शिवरात्रि के दिन हजारो की संख्या में यहाँ पर दर्शन करने भक्त लोग आते है पूरे दिन शिब भक्त भजन कीर्तन करते रहते है। शिवरात्रि के अगले दिन विशाल भंणडारा दिया जाता है। शिव जीर्णोद्धार सोसायटी के प्रधान शमशेर शर्मा व सचिव देस राज मेहता ने सभी शिव भक्तो को भंडारे के आमंत्रित किया है।
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