उपलब्धि: शूलिनी यूनिवर्सिटी ने साइटेशन इंडेक्स की क्यूएस रैंकिंग्स में शीर्ष स्थान हासिल किया

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

Ads

सोलन। सिर्फ ग्यारह साल पहले स्थापित शूलिनी यूनिवर्सिटी ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट साइंसेज, जो कि हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित है, ने साइटेशन इंडेक्स की 2021 क्यूएस रैंकिंग में पूरे भारत में शीर्ष स्थान हासिल किया है। 

 साइटेशन इंडेक्स की क्यूएस रैंकिंग है, जो संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान का एक संकेतक है। संस्थान को इसी क्षेत्र में पूरे एशिया में 14वां स्थान प्राप्त हुआ है। कुआक्आरेली साइमंड्स (क्यूएस) शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक स्वतंत्र और एक अत्यधिक प्रतिष्ठित विश्वसनीय वैश्विक रैंकिंग संगठन है और इसकी एशिया रैंकिंग आज एक ऑनलाइन समारोह में घोषित की गई।

 सूची में शीर्ष रैंकिंग वाले विश्वविद्यालयों में शूलिनी यूनिवर्सिटी सबसे युवा है। शूलिनी यूनिवर्सिटी, को देश के सभी निजी विश्वविद्यालयों में सातवें और सभी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच संयुक्त तौर पर 38वें स्थान पर रखा गया है। इसमें अधिकांश आईआईटी, पंजाब यूनिवर्सिटी और कई अन्य स्थापित संस्थानों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन शामिल है। सूची में स्थान पाने वाला यह हिमाचल प्रदेश का एकमात्र संस्थान है।

क्यूएस एशिया रैंकिंग ने शूलिनी यूनिवर्सिटी को एशिया के शीर्ष 300 विश्वविद्यालयों में भी रखा है। गौरतलब है कि यह पहली बार है कि यूनिवर्सिटी को क्यूएस रैंकिंग में शामिल किया गया है। इसने 2021 में 43.4 प्रतिशत के प्रतिशत एवोल्यूशन के साथ शानदार शुरूआत की है। युवा, ट्रस्ट संचालित यूनिवर्सिटी, जो रिसर्च और इनोवेशन में लगातार सफलता हासिल कर रही है, को हाल ही में देश में पेटेंट दाखिल करने के लिए शिक्षा मंत्रालय की सूची में तीसरा स्थान दिया गया था, जो देश में सभी 23 आईआईटी संस्थानों के संयुक्त आउटपुट में सबसे ऊपर था।

शूलिनी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो.पी.के.खोसला ने कहा कि ‘‘हमारी यूनिवर्सिटी ने क्यूएस रैंकिंग अर्जित की है और यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं की ईमानदारी और कड़ी मेहनत को सफलता मिली है।

शूलिनी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो.पी.के.खोसला 
शूलिनी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो.पी.के.खोसला

 

 उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी और ऊंचे नए शिखरों पर पहुंचने के लिए तैयार है और इसका मिशन शीर्ष वैश्विक विश्वविद्यालयों में शामिल होना है, जिसमें काफी हद तक सफलता मिल चुकी है।

यह उपलब्धि इस तथ्य के मद्देनजर और अधिक महत्वपूर्ण है कि यूनिवर्सिटी ने ये रैंकिंग 1000 से अधिक संस्थानों में हासिल की है, जिनमें आईआईटी, आईआईएम और केंद्रीय अनुसंधान संस्थान और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च आदि प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं।

 रिपोर्ट का एक और मुख्य आकर्षण यह है कि यूनिवर्सिटी को क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स के शीर्ष 44 संस्थानों में से एक है। क्यूएस रैंकिंग प्रमुख वैश्विक संकेतकों पर आधारित है जैसे शैक्षणिक प्रतिष्ठा, कर्मचारी प्रतिष्ठा, संकाय-छात्र अनुपात, पीएचडी कर चुके स्टाफ सदस्य, साइटेशन प्रति पेपर, इंटरनेशनल रिसर्च नेटवर्क, रिसर्च पेपर्स प्रति फैकेल्टी, इंटरनेशनल फैकेल्टी और स्टूडेंट्स, इनबाउंड एक्सचेंज स्टूडेंट्स और आउटगोइंग एक्सचेंज स्टूडेंट्स आदि।

क्यूएस एशिया रैंकिंग्स में एशिया के अनुमानित 20,000 संस्थानों में से 634 संस्थान प्रमुख रैकिंग प्राप्त करने में सफल रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के बजहोल गांव में स्थित शूलिनी यूनिवर्सिटी, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग्स फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के 101-150 दायरे में पिछले चार वर्षों से अपनी जगह बनाए हुए है। देश की सबसे युवा यूनिवर्सिटी ने अब तक लगभग 450 पेटेंट दाखिल किए हैं और इसके कम से कम सात फैकेल्टी सदस्यों को हाल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार दुनिया के शीर्ष दो प्रतिशत चुनिंदा वैज्ञानिकों के बीच रखा गया है।

 हाल ही में इसे हाल ही में अखिल भारतीय स्तर पर नवाचारों और उपलब्धियों (एआरआईआईए) पर निजी संस्थानों की अटल रैंकिंग में 6 से 25 तक के दायरे में रखा गया था। यूनिवर्सिटी को अकादमिक डिजिटलाइजेशन में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित क्यूएस इंटरनेशनल सर्टीफिकेशन भी मिली है और यूनिवर्सिटी को एशिया अवॉर्ड्स 2020 के लिए ‘आउटस्टैंडिंग स्टूडेंट सपोर्ट’ की श्रेणी में टाइम्स हायर एजुकेशन (टीएचई) के लिए चुना गया है।