आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। नन्द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन ने सूचित किया कि एसजेवीएन ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुना नदी की एक प्रमुख सहायक नदी टोंस नदी पर 60 मेगावाट की नैटवाड़ मोरी जलविदयुत स्टेशन (एनएमएचपीएस) की दोनों इकाइयों को कमीशन कर दिया है। कठोर परीक्षणों से गुजरने और राष्ट्रीय ग्रिड के साथ सफल सिंक्रोनाइजेशन के पश्चात दोनों इकाइयाँ अब वाणिज्यिक रूप से विदयुत उत्पादन कर रही हैं। इस उपलब्धि के साथ, अब कंपनी की स्थापित उत्पादन क्षमता 2152 मेगावाट हो गई है।
परियोजना के निर्माण में शामिल सभी व्यक्तियों के प्रयासों की सराहना करते हुए, श्री नन्द लाल शर्मा ने आगे बताया कि परियोजना प्रतिवर्ष 265.5 मिलियन यूनिट का विदयुत उत्पादन करेगी। विदयुत की निकासी एसजेवीएन द्वारा निर्मित बैनोल से स्नेल तक 37 किमी लंबी 220 केवी ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से की जाएगी। इस परियोजना में एक डायवर्जन संरचना शामिल है जो 18.5 मीटर ऊंची और शीर्ष पर 50 मीटर लंबी है। यहां से पानी को 5.6 मीटर व्यास वाली 4.33 किलोमीटर लंबी हेड रेस टनल में डायवर्ट किया गया है। प्रत्येक 30 मेगावाट की दो विदयुत उत्पादन इकाइयों से युक्त विदयुत गृह एक भूमिगत संरचना है। परियोजना को 75.3 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड के डिस्चार्ज के लिए डिजाइन किया गया है, जबकि हेड 90.76 मीटर है।
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नन्द लाल शर्मा ने कहा कि माननीय केंद्रीय विदयुत मंत्री, श्री आर.के. सिंह और उत्तराखंड के पूर्व माननीय मुख्यमंत्री, श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वर्ष 2018 में मोरी में नैटवाड़ मोरी जल विद्युत परियोजना की आधारशिला रखी थी। परियोजना की कमीशनिंग के पश्चात, उत्तराखंड राजय को रॉयल्टी के रूप में 12% नि:शुल्क विदयुत की आपूर्ति की जाएगी। इसके अलावा, प्रत्येक परियोजना प्रभावित परिवार को दस वर्षों तक प्रति माह 100 यूनिट विदयुत की लागत के बराबर राशि प्रदान की जाएगी परियोजना से संरचनात्मक विकास तथा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के सृजन के साथ-साथ क्षेत्र समग्र विकास के युग का आंरभ होगा। कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत सतलुज संजीवनी मोबाइल हेल्थ वैन, कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम, खेल एवं सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना, संरचनात्मक कार्य जैसी विभिन्न गतिविधियाँ स्थानीय जनता को लाभान्वित कर रही हैं।
उत्कृष्ट प्रगति पथ पर चलते हुए, एसजेवीएन, एक अग्रणी विदयुत सीपीएसयू, भारत सरकार के ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करने के लिए समर्पित है। कंपनी ने वर्ष 2026 तक 12,000 मेगावाट का मिशन तथा वर्ष 2040 तक 50,000 मेगावाट की स्थापित क्षमता का साझा विजन निर्धारित किया है ।