आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। चीन ने, जलवायु परिवर्तन रोकने की अपनी प्रतिबद्धता के अंतर्गत, अपनी अब तक की सबसे महत्वपूर्ण डीकार्बनाइज़ेशन रणनीति बना ली है। दरअसल चीन के जलवायु सम्बन्धी मामलों के भूतपूर्व विशेष प्रतिनिधि झी झिन्हुआ की अध्यक्षता और मार्गदर्शन में ज्हिंगुआ यूनिवर्सिटी ने चीन की दीर्घकालीन डीकार्बनाइजेशन रणनीति पर एक रिपोर्ट जारी की है और सदी के मध्य तक कार्बन के उत्सर्जन को शून्य करने के सुझाव दिए है।
ऐसा माना जा रहा है कि ज्हिंगुआ यूनिवर्सिटी के सतत विकास और जलवायु परिवर्तन संस्थान और चीन के 24 अन्य प्रमुख शोध संस्थानों और थिंक टैंक्स के नेतृत्व में हुआ यह शोध चीनी जलवायु नीति निर्माताओं के लिए डीकार्बोनाइजेशन की दीर्घकालीन नीति और चीन के नेशनली डेटर्मिंड कॉन्ट्रिब्यूशन्स को पूरा करने में उपयोगी साबित होंगे।
शोधदल ने 2050 तक कार्बन के शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए एक “हाइब्रिड” रास्ता सुझाया है – 2030 से पहले उत्सर्जन में धीरे -धीरे कमी लाना और 2030 के बाद पूरी तरह से डीकार्बोनाइजेशन को अपनाना । शोध दल ने बताया कि मौजूदा स्तर पर, ऊर्जा और आर्थिक प्रणाली की जड़ता को देखते हुए 2 डिग्री सेल्सियस और 1.5 डिग्री सेल्सियस परिदृश्यों के लिए निर्धारित उत्सर्जन में कमी के रास्तों को तुरंत अपनाना मुश्किल है, इसलिए 2030 के बाद ही डीकार्बोनाइजेशन वाले हाइब्रिड पाथवे को अपनाना मुमकिन है.
विशेषज्ञों का सुझाव है कि चीन का 2050 तक कार्बन के जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य होना चाहिए और 2020 के मानक के अनुसार सभी ग्रीनहाउस गैसों को 90% तक कम करना चाहिए, जिससे 2060 तक स्थिरता हो सके। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि इस रणनीति को बनाने वाले विशेषज्ञों ने माना है कि राष्ट्रपति शी जिन्फिंग द्वारा 2060 का जो लक्ष्य घोषित किया गया था वो सिर्फ़ कार्बन न्यूट्रल नहीं, बल्कि उससे एक कदम आगे, क्लाइमेट न्यूट्रल था। यहाँ ये साफ़ करना ज़रूरी है कि इस दिशा में कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है।
इस अध्ययन द्वारा दिया सुझावों के अनुसार ऐसा लगता हिया चीन 2020 के अंत तक या 2021 की शुरुआत में अधिक महत्वाकांक्षी नेशनली डेटर्मिंड कॉन्ट्रिब्यूशन्स प्रस्तुत करेगा, और अगले पांच साल की योजना में प्रमुख ऊर्जा संक्रमण और उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को उठाएगा। फ़िलहाल चीन में 14वीं पंचवर्षीय योजना का मसौदा तैयार किया जा रहा है और इसे अगले साल मार्च तक नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के दौरान अनुमोदित किया जाएगा।
अनुसंधान टीम ने अगले पंचवर्षीय योजना में कोयला खपत, कोयला बिजली क्षमता के सख्त नियंत्रण की जरुरत बताते हुये अद्यतन एनडीसी में कार्बन तीव्रता में कमी और गैर-जीवाश्म ईंधन के लक्ष्य को बढ़ाने का सुझाव दिया है।
इस शोध के मुख्य निष्कर्ष कुछ इस प्रकार हैं……
- चीन की वर्तमान नेशनली डेटर्मिंड कॉन्ट्रिब्यूशन्स न तो पेरिस समझौते या 2060 तक नेट ज़ीरो शपथ के अनुकूल हैं
- चीन को हाइब्रिड अप्रोच से डीकार्बनाइज़ होना होगा। इसके अंतर्गत साल 2030 तक नेशनली डेटर्मिंड कॉन्ट्रिब्यूशन्स को पूरा करने के सतत प्रयास होंगे और उसके बाद से कार्बन मुक्ति के प्रयासों में अपेक्षाकृत तीव्रता आएगी और 1.5 डिग्री लक्ष्य द्वारा आवश्यक उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य को पाने की कोशिश होगी।
- प्रस्तावित रणनीति के तहत चीन का CO2 उत्सर्जन 2030 से पहले और ऊर्जा की खपत 2035 के आसपास चरम पर होगी। 2050 तक ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन होगा ।
- प्रस्तावित मार्ग में 2030 के बाद कार्बन सिंक और CCS + BECCS की आवश्यकता है।
- लक्ष्य तक पहुँचने के लिए गैर-CO2 उत्सर्जन में कटौती महत्वपूर्ण होगी। यह एक बड़ी चुनौती भी है क्योंकि इसके लिए ज़रूरी समाधान और प्रौद्योगिकियां अभी तैयार नहीं हैं।
अनुसंधान टीम ने 2030 से पहले 14 वीं पंचवर्षीय योजना और NDC को अनुकूल बनाने के लिए निम्नलिखित नीतिगत सिफारिशों को प्रस्तावित किया है :
- कोयले की खपत और कोयला आधारित बिजली क्षमता के विस्तार पर सख्ती से नियंत्रण। आगामी 5 वर्षों में कोयले वृद्धि और खपत को कम करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करें।
- कार्बन उत्सर्जन कैप को 14 वें वित्त वर्ष में शामिल किया जाना चाहिए,जिसमें वार्षिकCO2 उत्सर्जन 10.5 बिलियन टन से कम हो।
- मजबूत कार्बन तीव्रता कटौती लक्ष्य 19% -20 % निर्धारित करना चाहिए।
- प्रमुख शहरों और उत्सर्जन-गहन उद्योगों को पहले उत्सर्जन पर नजर रखते हुए 10-वर्षीय शिखर योजना की स्थापना करनी चाहिए।
- राष्ट्रीय कार्बन बाजार के कवरेज को अन्य क्षेत्रों में विस्तारित करें।
- 2030 कार्बन की तीव्रता में कमी के लक्ष्य को वर्तमान में 40-45% से 65% करना।
- ऊर्जा मिश्रण में गैर-जीवाश्म ईंधन का हिस्सा 2030 तक मौजूदा 20% से 25% तक पहुंच जाना चाहिए।
- CO2 उत्सर्जन 2025 में लगभग 10.5 बिलियन टन और 2030 से पहले शिखर तक पहुंच सकता है।
- वन स्तर 2005 की तुलना में 5.5-6 बिलियन क्यूबिक वर्ग मीटर तक बढ़ सकता है।
मौजूदा वैश्विक हालातों में चीन की चाल पर नज़र रखना ज़रूरी है। अब देखना यह है कि इस संदर्भ में चीन अंततः किस दिशा में बढ़ता है।