विशेष: तत्काल जलवायु कार्रवाई कर सकती है सभी के लिए एक बेहतर भविष्य: संयुक्त राष्ट्र 

सांकेतिक तस्वीर
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आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

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नई दिल्ली/शिमला। बात मानव जनित जलवायु परिवर्तन के लिए स्वयं को ऍडाप्ट करने की हो या ग्रीनहाउस गैस एमिशन को कम करने की हो, तो इस बात में कोई दो राय नहीं कि अब हमारे पास इन दोनों ही समस्याओं के समाधान के लिए तमाम व्यावहारिक और प्रभावी विकल्प उपलब्ध हैं। कमी है तो सिर्फ नीतिगत फैसलों कि। इतना ही नहीं, यदि मौजूदा नीतिगत बाधाओं को कम कर दिया जाए तो ग्रीनहाउस गैस एमिशन को तेजी से कम करने के लिए पर्याप्त वैश्विक पूंजी है।
यह कहना है जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) के सदस्य वैज्ञानिकों का। इन वैज्ञानिकों ने आज अपनी नवीनतम रिपोर्ट में साफ़ किया है कि अगर हम अब भी मौजूदा संसाधनों का सही रणनीतिक प्रयोग करते हैं तो जलवायु परिवर्तन की चोट के असर को काफ़ी कम कर सकते हैं।

अपनी प्रतिकृया देते हुए आईपीसीसी के अध्यक्ष होसुंग ली कहते हैं, “प्रभावी और न्यायसंगत जलवायु कार्रवाई को मुख्यधारा में लाने से न सिर्फ प्रकृति और मानवजाति को होने वाले नुकसान में कमी आएगी, बल्कि यह व्यापक लाभ भी प्रदान करेगा।” वो आगे कहते हैं, “यह सिंथेसिस रिपोर्ट हमें जल्द से जल्द अधिक महत्वाकांक्षी कार्रवाई करने की ज़रूरत को साफ़ करती है और दिखाती है कि यदि हम अभी इस दिशा में कार्य करते हैं तो हम अभी भी सभी के लिए एक रहने योग्य पृथ्वी और टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।”

साल 2018 में, IPCC ने वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने की चुनौती के अभूतपूर्व पैमाने पर प्रकाश डाला था। और अब, पांच साल बाद, ग्रीनहाउस गैस का एमिशन में निरंतर वृद्धि के कारण यह चुनौती और भी बड़ी हो गई है। अब तक जो किया गया है उसकी गति और पैमाना, और वर्तमान योजनाएं, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नाकाफी हैं। जीवाश्म ईंधन के एक शताब्दी से अधिक समय तक जलाए जाने के साथ-साथ असमान और अस्थिर ऊर्जा और भूमि उपयोग ने पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक की ग्लोबल वार्मिंग को जन्म दिया है। इसके चलते तीव्र होती चरम मौसम की घटनाएं लगातार हो रही हैं और समय के साथ अधिक खतरनाक हो गई हैं और दुनिया के हर क्षेत्र में प्रकृति और लोगों पर प्रभाव दाल रही हैं।

ग्लोबल वार्मिंग में होने वाली हर वृद्धि के परिणामस्वरूप ये खतरे बढ़ते जा रहे हैं। इसे ऐसे समझिए कि अधिक तीव्र हीटवेव, भारी वर्षा और मौसम की अन्य चरम स्थितियां मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिक तंत्र के लिए जोखिमों को और बढ़ा देती हैं। पूरी दुनिया में भीषण गर्मी से लोग मर रहे हैं। साथ ही, बढ़ती गर्मी के चलते भोजन और पानी की उपलब्धता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ध्यान रहे, जब आपदाओं के जोखिम अन्य प्रतिकूल घटनाओं के साथ जुड़ जाते हैं, तब उनसे निपटना और भी कठिन हो जाता है।

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इंसान को हो रहे नुकसान और हानि चर्चा में

इंटरलेकन में चल रहे पिछले एक सप्ताह के सत्र के दौरान स्वीकृत की गई इस रिपोर्ट में इंसान को हो रहे नुकसान और हानि पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वो नुकसान जो हम पहले से ही अनुभव कर रहे हैं और भविष्य में भी जिनका असर हम पर पड़ता रहेगा। याद रहे कि इस वार्मिंग की सबसे ज्यादा मार वंचित लोगों और कमज़ोर पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ेगी। ऐसे में अभी, वक़्त रहते, सही कार्रवाई करने का परिणाम बेहद सकारात्मक हो सकता है।

इस सिंथेसिस रिपोर्ट के 93 लेखकों में से एक, अदिति मुखर्जी कहती हैं, “क्लाइमेट जस्टिस, या जलवायु न्याय, महत्वपूर्ण है क्योंकि जिन लोगों ने जलवायु परिवर्तन में सबसे कम योगदान दिया है, वो ही इससे अनुपातहीन रूप से प्रभावित हो रहे हैं।“ वो आगे कहती हैं, “दुनिया की लगभग आधी आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जो जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं। पिछले दशक में बाढ़, सूखे और तूफान से होने वाली मौतों की संख्या इन अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्रों में 15 गुना अधिक थीं।“

इस दशक में, जलवायु परिवर्तन के लिए अनुकूल होने या उसके लिए एडेप्ट करने के लिए त्वरित कार्रवाई ज़रूरी है। साथ ही, वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर तक रोकने के लिए सभी क्षेत्रों में गहरी, तीव्र, और निरंतर ग्रीनहाउस गैस एमिशन में कमी की आवश्यकता है। सही मानों में तो एमिशन का अब तक कम होना शुरू हो जाना चाहिए था। खैर, अगर तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित होना है तो 2030 तक एमिशन को लगभग आधा करना होगा।

आगे का सफर


इस समस्या का समाधान जलवायु अनुकूल विकास या क्लाइमेट रेज़िलिएंट डेव्लपमेंट में छिपा है। इसमें व्यापक लाभ प्रदान करने वाले तरीकों से ग्रीनहाउस गैस एमिशन को कम करने या उससे बचने के लिए जलवायु परिवर्तन के अनुकूल उपायों को एकीकृत करना शामिल है। उदाहरण के लिए: स्वच्छ ऊर्जा और प्रौद्योगिकियों तक पहुंच से स्वास्थ्य में सुधार होता है, खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए; लो-कार्बन इलेक्ट्रिफिकेशन या कम कार्बन सघन बिजली का प्रयोग; पैदल चलना, साइकिल चलाना, और सार्वजनिक परिवहन न सिर्फ वायु गुणवत्ता को बेहतर करते हैं बल्कि स्वास्थ्य में सुधार भी करते हैं, साथ ही रोजगार के अवसर और समानता भी प्रदान करते हैं। अकेले हवा की गुणवत्ता में सुधार से लोगों के स्वास्थ्य के लिए आर्थिक लाभ मोटे तौर पर समान होगा, या संभवतः एमिशन को कम करने या उससे बचने की लागत से भी बड़ा होगा।

 

तापमान में हर वृद्धि के साथ जलवायु अनुकूल विकास अधिक चुनौतीपूर्ण होता जाता है। यही कारण है कि अगले कुछ वर्षों में हमारे द्वारा लिए गए फैसले हमारे और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
कारगर होने के लिए हमारे इन फैसलों का तार्किक और विज्ञान सम्मत होना चाहिए। यह दृष्टिकोण जलवायु अनुकूल विकास की सुनिश्चित करेगा और स्थानीय रूप से उपयुक्त, सामाजिक रूप से स्वीकार्य समाधानों को मौका देगा। रिपोर्ट के लेखकों में से एक, क्रिस्टोफर ट्रिसोस, कहते हैं, “कम आय वाले और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए जलवायु जोखिम में कमी को प्राथमिकता देने से कल्याण में सबसे बड़ा लाभ हो सकता है।” वो आगे याद दिलाते हैं कि, “त्वरित जलवायु कार्रवाई तभी होगी जब इसके लिए धन कि उपलब्धता में कई गुना वृद्धि होगी। अपर्याप्त और असंरेखित वित्त इस दिशा में प्रगति को रोक रहा है।”

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टिकाऊ भविष्य के लिए ज़रूरी कदम


यदि मौजूदा नीतिगत बाधाओं को कम कर दिया जाए तो ग्रीनहाउस गैस एमिशन को तेजी से कम करने के लिए पर्याप्त वैश्विक पूंजी है। ऐसे में वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जलवायु निवेश के लिए वित्त बढ़ाना महत्वपूर्ण है। इन बाधाओं को कम करने में सरकारों की भूमिका महत्वपूर्ण हैं। निवेशक, केंद्रीय बैंक और वित्तीय नियामक भी अपनी भूमिका निभा सकते हैं। यदि इन्हें बढ़ाया जाए और अधिक व्यापक रूप से लागू किया जाए तो यह सभी आजमाए और परखे हुए नीतिगत उपाय हैं जो एमिशन में व्यापक कमी और जलवायु लचीलापन प्राप्त करने के लिए काम कर सकते हैं। प्रभावी और न्यायसंगत जलवायु कार्रवाई के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता, समन्वित नीतियां, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन और समावेशी शासन सभी महत्वपूर्ण हैं।

यदि प्रौद्योगिकी, जानकारी और उपयुक्त नीतिगत उपायों को साझा किया जाता है, और अभी पर्याप्त वित्त उपलब्ध कराया जाता है, तो हर समुदाय कार्बन-गहन खपत को कम कर सकता है या इससे बच सकता है। साथ ही, अनुकूलन में महत्वपूर्ण निवेश के साथ, हम बढ़ते जोखिमों को टाल सकते हैं, विशेष रूप से कमजोर समूहों और क्षेत्रों के लिए। जलवायु, पारिस्थितिकी तंत्र और समाज आपस में जुड़े हुए हैं। पृथ्वी की लगभग 30-50% भूमि, मीठे पानी और महासागर का प्रभावी और न्यायसंगत संरक्षण एक स्वस्थ ग्रह सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

शहरी क्षेत्र महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई के लिए वैश्विक स्तर का अवसर प्रदान करते हैं जो सतत विकास में योगदान देता है। खाद्य क्षेत्र, बिजली, परिवहन, उद्योग, भवन और भूमि उपयोग में परिवर्तन से ग्रीनहाउस गैस एमिशन को कम किया जा सकता है। साथ ही, वे लोगों के लिए कम कार्बन वाली जीवनशैली जीना आसान बना सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य और सेहत में भी सुधार होगा। अधिक खपत के परिणामों की बेहतर समझ से लोगों को बेहतर विकल्प बनाने में मदद मिल सकती है।

हो सुंग ली कहते हैं, “क्रांतिकारी परिवर्तनों के सफल होने की अधिक संभावना वहाँ होती है जहां इस बात का विश्वास होता है कि हर कोई जोखिम में कमी को प्राथमिकता देने के लिए एक साथ काम करता है, और जहां लाभ और बोझ समान रूप से साझा किए जाते हैं। ध्यान रहे, हम एक विविध दुनिया में रहते हैं जिसमें बदलाव लाने के लिए हर किसी की अलग-अलग जिम्मेदारियां और अलग-अलग अवसर हैं। कुछ लोग बहुत कुछ कर सकते हैं जबकि तमाम लोगों को इस परिवर्तन को प्रबंधित करने में सहायता की आवश्यकता होगी।”