भारतीय खाद्य निगम को कमजोर करने की केन्द्र सरकार की साजिश को किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होने दिया जाएगा- डाॅ तंवर

भारतीय खाद्य निगम को कमजोर करने की केन्द्र सरकार की साजिश को किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होने दिया जाएगा- डाॅ तंवर
भारतीय खाद्य निगम को कमजोर करने की केन्द्र सरकार की साजिश को किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होने दिया जाएगा- डाॅ तंवर

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

Ads

शिमला। संयुक्त किसान मोर्चा एसकेएम के देशव्यापी आहवान के तहत हिमाचल किसान सभा जो कि अखिल भारतीय किसान सभा की राज्य इकाई है और राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त किसान मोर्चा का एक घटक है, ने भारतीय खाद्य निगम(Food Corporation of India)के महाप्रबंधक के मार्फत देश के प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन से पूर्व किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने भारतीय खाद्य निगम को बचाने, कृषि कानूनों को वापस लेने तथा प्रदेश में अनाजों, फलों, सब्जियों तथा दूध पर न्युनतम समर्थन मूल्य घोषित करने सम्बंधी मुददों पर जोरदार नारेबाजी की।

इस ज्ञापन के माध्यम से हिमाचल किसान सभा खाद्य एवं कृषि से सम्बन्धित कुछ केन्द्रीय व कुछ राज्य स्तरीय मामलों पर केन्द्र और राज्य सरकारों का ध्यानाकर्षण चाहती है और निम्न बिन्दुओं पर प्रभावी हस्तक्षेप की अपेक्षा भी करती है।

ये भी पढ़ें:  https://www.aadarshhimachal.com/coronas-new-strain-now-found-in-himachal-uk-variant-found-in-a-sample-of-a-female-doctor-sent-to-aiims-three-weeks-ago/

ऽ भारतीय खाद्य निगम के द्वारा अनाजों व अन्य फसलों की खरीद से न केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से देश के करोड़ों गरीब परिवारों को सस्ता राशन मुहैया होता है बल्कि इसके माध्यम से देश की खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है। किसी भी आपदा या संकट के समय के लिए देश को खाद्य वस्तुओं के मामले में आत्मनिर्भर होना देश की सुरक्षा के लिए अति आवश्यक है।
ऽ परन्तु यह महसूस किया गया है कि धीरे-धीरे न केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर और सीमित किया जा रहा है साथ ही केन्द्र सरकार की ओर से भारतीय खाद्य निगम के लिए जिस तरह के दिशानिर्देश जारी किए जा रहे हैं उनसे खाद्य निगम पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। खाद्य सुरक्षा के लिए ज़रूरी खाद्य भण्डारण में कमी आएगी। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव किसानों और उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

2. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करने के लिए फर्द या ज़मीन के कागज़ दिखाने की शर्त लगाकर भी सरकार किसानों की फसल की सरकारी खरीद को सीमित करना चाहती है। देश में जहां भूमि सुधार नहीं हुए हैं वहां किसान ज़मीन को लीज़ पर लेकर खेती कर रहे हैं। हिमाचल जैसे राज्यों में जहां जोतें बहुत छोटी हैं वहां भी किसान अपनी ज़मीन के साथ दूसरों की ज़मीन पर खेती करके अपना साल भर का गुज़ारा करता है। इन परिस्थितियों में ज़मीन के मालिकाना हक के कागज़ात के अनुपात में फसल की खरीद करना किसी भी सूरत में तर्कसंगत नहीं है।
वहीं इसी फैसले में यह भी कहा जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का पैसा सीधा लाभार्थी के खाते में जाएगा। इसमें लीज़ पर ली गई ज़मीन या बटाई में ली गई ज़मीन की फसल पर मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसका हक होगा इस पर कोई स्पष्टता या नीति नहीं है।

इन फैसलों से स्पष्ट होता है कि सरकार खरीद के मानक तय करके अप्रत्यक्ष तौर पर किसानों से फसलों की खरीद को सीमित करना चाहती है। साथ ही साथ भारतीय खाद्य निगम और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करना चाहती है। इससे उपभोक्ताओं पर भी बुरा असर पड़ेगा और देश की खाद्य सुरक्षा भी प्रभावित होगी।

भारतीय खाद्य निगम के महाप्रबंधक ने अपने अधिकारियों के साथ आकर प्रदर्शन के दौरान ज्ञापन लिया तथा सकारात्मक तरीके से किसानों की मांगों पर प्रमुखता से गौर करते हुए प्रदेश एवं केन्द्र सरकार को सुझाावों सहित भेजने का आश्वासन दिया।
प्रदर्शन में जयशिव ठाकुर, अमर ठाकुर, हीरानंद शांडिल, मोलकराम ठाकुर, विजय शांडिल, अमर सिंह, परमानंद शर्मा, विद्यादत शर्मा, नेकराम, केवल शर्मा, अनोखी राम, रति राम, मस्त राम, कपिल शर्मा, अंबी ठाकुर, सुरेश पुण्डीर, अनिल पंवर, जोगिन्द्र, जीयानंद शर्मा, देवेन्द्र कंवर आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।