खुशहाल जीवन जीने का जज़्बा और मार्गदर्शन होना जरूरी
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। कोरोनाकाल में बढ़ते मानसिक तनाव, चिंता, भय से उबरने के लिए खाली समय में अच्छा साहित्य पढ़कर या दोस्तों के साथ व्यस्त रहकर, व्यायाम, योग साधना, खुश रहना और साकारात्मक सोच के साथ इन सभी प्रकार के तनावों से मुक्त किया जा सकता है।
इस दिशा में स्थानीय एपीजी शिमला विश्वविद्यालय और वेंकटेश्वर ओपन विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वाधान में कोरोनाकाल में नीरस जीवन से खुशहाल जीवन की ओर बढ़ना और तनाव और चिंता से कैसे लड़ें विषय पर एक दिवसीय वेबिनार व कार्यशाला का आयोजन किया गया। फाउंडेशन ऑफ इमोशनली योर्स की ओर से कृतिका कपूर ने बतौर मेन्टल हेल्थ केयर विशेषज्ञ व वक़्ता कार्यक्रम में शिरकत कर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय, वेंकटेश्वर ओपन विश्वविद्यालय के छात्रों, शिक्षकों और कार्यक्रम में प्रतिभागियों को तनाव मुक्त, चिन्ता मुक्त जीवन से उबरने के लिए आसान एवं सुलभ उपायों पर चर्चा करते हुए कहा कि जीवन में तनाव व चिन्ता स्वभाविक है परंतु इस पर काबू कर खुशहाल और समृद्ध जीवन जिया जा सकता है।
कृतिका कपूर ने कहा कि कोरोना काल में बहुत से लोग तनाव व चिंताओं से ग्रस्त हो रहे हैं जिनमें छात्र सबसे ज्यादा हैं क्योंकि बहुत लम्बे समय से घर में रह रहे छात्रों व युवाओं की काउंसलिंग की आवश्यकता रहती है कि कैसे ऑनलाइन-पढ़ाई के साथ जीवन को तनाव मुक्त किया जाए और संकट के समय में भी खुशहाल और उन्नत जीवन जिया जाए और कार्यों को साकारात्मक सोच के साथ आसानी से हल कर सकें। इस कार्यक्रम में वेंकटेश्वर ओपन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. आर.के. चौधरी व एपीजी विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति ने बताया कि तनाव व चिन्ता कोई नई घटना नहीं हैं , यह मनुष्य के स्वभाव में हो ही जाती हैं परंतु इससे जो निपट लेते हैं वह खुशी भरा और भय मुक्त, चिन्ता मुक्त जीवन जीते हैं।
कुलपति चौधरी ने कहा कि यह देखा गया है कि युवा जल्दी तनाव में आ जाते हैं जिसका सबसे बड़ा कारण घरों , संस्थानों और शैक्षणिक संस्थानों में समय-समय पर छात्रों व युवाओं की काउंसलिंग की कमी है और इस तरह के प्लेटफॉर्म भी आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं। कुलपति चौधरी ने कहा कि कोरोनाकाल में जहाँ छात्रों की पढ़ाई बाधित हुई है और बहुत से छात्र तनाव में चले जाते हैं कि हमारी पढ़ाई कैसे ठीक हों, रोज़गार कैसे मिले। कुलपति चौधरी ने कहा कि हर संकट की घड़ी में जीवन को चिन्ता मुक्त, भयमुक्त और तनावमुक्त जिया जा सकता है , बस एक साकारात्मक सोच और सही दिशा व गाइडेंस मिलना जरूरी है, साधन अपने आप उपलब्ध हो जाते हैं यदि जीवन में जीतने और आगे बढ़नी की ठान लें।
उन्होंने कहा कि जहां भारत में लाखों छात्र अपनी स्टडीज को लेकर हैं वहां एपीजी शिमला विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन टीचिंग-लर्निंग और छात्रों की काउंसलिंग में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है कि आज पढ़ाई से लेकर परीक्षाएं आयोजित करने में सफलता प्राप्त की है और छात्र पढ़ाई को लेकर कहीं कोई चिंता व शिकायत सामने नहीं आई। उन्होंने कहा कि तनाव मुक्त जीवन के लिए प्रबंधन भी जरूरी है। एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. रमेश चौहान ने छात्रों व प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे सनातन धर्म, वेदों, पुराणों, संस्कृति, शास्त्रों में तनावमुक्त, भयमुक्त, चिंतामुक्त जीवन का संदेश दिया गया है कि मनुष्य कैसे आनदमयी, खुशहाल और रोगरहित जीवन जिएं इनसे मानुष को सीख लेनी चाहिए क्योंकि यह मानुष के हर समय के गुरु भी है, उपदेशक भी हैं और खुशहाल जीवन के प्रेरक भी हैं।
कुलपति चौहान ने कहा कि छात्र, युवा, छोटे-बड़े सभी लोग तनाव को किसी भी परिस्थिति में कभी हावी नहीं होने दें बल्कि खुशहाल जीवन को पहले चुने हैं, अच्छा पौष्टिक आहार हों, आदतें अच्छी हों और ईश्वर में आस्था हो तो आप हर प्रकार की चिंता, डर, तनाव से जीत हासिल कर सकते हैं।
वहीं कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार व विजिटिंग प्रो. डॉ. अश्वनी शर्मा ने मेन्टल हेल्थ केयर एक्सपर्ट कृतिका कपूर का ध्यान प्रश्न के माध्यम से कोरोना के चलते लॉकडाउन और लाखों लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा और बेरोजगारी बहुत बढ़ गई जिस कारण बहुत से लोग तनाव की जिंदगी जी रहे हैं, कई युवाओं ने तो नशे को अपना लिया और कई लोगों ने आत्महत्या तक कर लिया है, ऐसे तनावग्रस्त जीवन को कैसे खुशहाल जीवन की पटड़ी पर लौटाया जाए ताकि लोग कोरोनाकाल में सामान्य जीवन जी सकें और तनाव से बचें।
इसके उत्तर में कृतिका कपूर ने बताया कि लोगों को रचनात्मक कार्यों, योग, धार्मिक व अच्छा, साहिय पढ़ना, जॉब-सृजन की तकनीक इज़ाद करना, अकेलेपन से दूर रहना, साकारात्मक सोच रखना, सुलभ व ईमानदारी से रोजगारपरक तरीके ढूंढने चाहिए और जीवन को प्राथमिकता देनी चाहिए न कि नीरस जीवन व तनावग्रस्त जीवन की राह को पकड़ना चाहिए क्योंकि मंज़िलें और भी हैं पर जीवन को खुशहाली के साथ सबके साथ ख़ुशी से जीने का जज़्बा होना जरूरी है, मार्गदर्शन जरूरी है।