समीक्षा बैठक में कृषि सचिव निर्देश: प्राकृतिक खेती कर रहे 87000 किसानों का होगा प्रमाणीकरण

प्राकृतिक खेती कर रहे 87000 किसानों का होगा प्रमाणीकरण
प्राकृतिक खेती कर रहे 87000 किसानों का होगा प्रमाणीकरण

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

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शिमला। प्रदेश में प्राकृतिक खेती कर रहे 87,000 किसानों का प्रमाणीकरण किया जाएगा। अभी तक राज्य में प्राकृतिक खेती कर रहे 52,000 किसानों को निशुल्क प्रमाणपत्र दिए जा चुके हैं। इस वित्त वर्ष में 87,000 नए किसानों को निशुल्क प्रमाणपत्र जारी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेश में 1.59 लाख से अधिक किसान-बागवान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। कृषि सचिव राकेश कंवर ने बुधवार को राज्य सचिवालय में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दिए। बैठक के दौरान योजना की पूर्व गतिविधियों एवं आगामी रणनीति पर अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की गई।

 

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कृषि सचिव ने कहा कि प्राकृतिक खेती को लेकर स्वतंत्र संस्थानों ने अध्ययन किया है जिसके उत्साहवर्धक परिणाम देखने को मिले हैं। प्रदेश सरकार की इस योजना से किसान स्वतः ही जुड़ रहे हैं। इस साल 30,000 एकड़ भूमि को प्राकृतिक खेती में लाने का लक्ष्य रखा गया है। अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष को ध्यान में रखते हुए किसानों को प्राकृतिक खेती से मोटे अनाज उगाने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों को पोषक अनाजों का व्यापक उत्पादन होने पर इसके विपणन के लिए भी तैयारियां करने को कहा। कृषि सचिव ने अधिकारियों को कृषि विभाग के फार्मों में भी जिला आधारित फसलों पर प्राकृतिक खेती मॉडल विकसित करने के निर्देश दिए।

 

 

बैठक के दौरान प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक नरेश ठाकुर ने कहा कि योजना के अधीन प्रदेश की हर पंचायत में उत्कृष्ट मॉडल बनाए गए हैं। उन्होंने अधिकारियों को इन मॉडलों को और सुदृढ़ कर बेहतर करने  के निर्देश दिए। राज्य परियोजना निदेशक कहा कि प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों द्वारा प्रसंस्कृत उत्पादों के प्रमाणन हेतू विकल्प भी तलाश किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग के फार्मों तथा बड़े स्तर पर प्राकृतिक खेती कर रहे इलाकों के प्रमाणीकरण हेतू प्रयास तेज किए जाएंगे। इस बैठक में कृषि निदेशक डॉ. राजेश कौशिक, संयुक्त निदेशक कृषि डॉ. रविंद्र सिंह जसरोटिया, कृषि उपनिदेशक डॉ. मोहिंदर भवानी, सभी जिला के आतमा परियोजना निदेशक तथा राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई के अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।