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खेल संस्कृति को बढ़ावा दे रही प्रदेश सरकार

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फिचर   

शिमला । युवाओं की ऊर्जा को रचनात्मक गतिविधियों की ओर संचारित करने के उद्देेश्य से प्रदेश सरकार खेल गतिविधियों को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करने पर विशेष बल दे रही है। यह पहल न केवल राज्य में खेल संस्कृति को मजबूत कर रही है, बल्कि युवाओं को नशे से दूर रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
देश और प्रदेश का नाम रोशन करने वाले प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को आकर्षक प्रोत्साहन देने के साथ-साथ सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मानकों के खेल ढांचे के विकास पर भी कार्य किया है। इस पहल का उद्देश्य युवाओं को अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराज्यीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।

 

 

राज्य सरकार ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं की पुरस्कार राशि में उल्लेखनीय वृद्धि की है। ओलंपिक, शीतकालीन ओलंपिक और पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि 3 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये की गई है। रजत पदक विजेताओं को अब 2 करोड़ रुपये के बजाय 3 करोड़ रुपये और कांस्य पदक विजेताओं को 1 करोड़ रुपये के बजाय 2 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।
एशियाई खेलों और पैरा ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेताओं की पुरस्कार राशि 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 करोड़ रुपये कर दी गई है। रजत पदक विजेताओं को अब 30 लाख रुपये के बजाय 2.50 करोड़ रुपये और कांस्य पदक विजेताओं को 20 लाख रुपये के बजाय 1.50 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।

 

 

राष्ट्रमंडल और पैरा राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को 50 लाख रुपये के बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये, रजत पदक विजेताओं को 30 लाख रुपये के बढ़ाकर  2 करोड़ रुपये और कांस्य पदक विजेताओं को 20 लाख रुपये के बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की जा रही है।
पिछले वर्ष राज्य सरकार ने पैरालंपिक, एशियाई, राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व कप में पदक जीतने या भाग लेने वाले अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को कुल 17,44,28,000 रुपये की नकद पुरस्कार राशि प्रदान की।

 

खिलाड़ियों को उचित व संतुलित पोषण सुनिश्चित करने के लिए आहार भत्ता भी बढ़ाया गया है। विद्यालयों में भी विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है ताकि छात्रों को अपने खेल कौशल का प्रदर्शन करने का अवसर मिले। प्रदेश के बाहर प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को अब 200 किलोमीटर तक की दूरी के लिए एसी थ्री-टियर रेल किराया और लंबी दूरी के लिए इकोनॉमी क्लास हवाई किराया प्रदान किया जा रहा है।

 

वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 में खेल मैदानों और अत्याधुनिक खेल अवसंरचना के निर्माण एवं रखरखाव के लिए लगभग 38 करोड़ आवंटित किए गए। यह राशि कुल 74 खेल परियोजनाओं पर खर्च की गई।
शिमला जिले के रामपुर बुशहर के दत्तनगर में 9.45 करोड़ की लागत से एक खेल छात्रावास का निर्माण किया गया है, जिसमें 50 खिलाड़ियों के ठहरने की व्यवस्था है। सिरमौर जिले के माजरा में   7.28 करोड़ की लागत से एक हॉकी एस्ट्रोटर्फ विकसित किया गया है।

 

सरकार ने यह निर्णय लिया है कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को उस अवधि के दौरान विशेष अवकाश दिया जाएगा। यह निर्णय छात्रों के सर्वांगाीण विकास को बढ़ावा देगा।
उत्कृष्ट खिलाड़ियों को रोजगार देने के लिए 3 प्रतिशत खेल कोटा निर्धारित किया गया है, जिसके तहत वर्ष 2024 से अब तक 99 उत्कृष्ट खिलाड़ियों को रोजगार प्रदान किया गया है।
मुख्यमंत्री युवा खेल प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक खेल मैदान का निर्माण करने का प्रस्ताव है। राज्य के प्रत्येक ब्लॉक में नोडल युवा क्लब स्थापित किए गए हैं। कुल 68 ब्लॉकों में प्रत्येक में एक-एक युवा स्वयंसेवक नियुक्त किया गया है और प्रत्येक जिला मुख्यालय पर भी एक स्वयंसेवक की नियुक्ति की गई है।

 

पिछले वर्ष अखिल भारतीय डॉ.वाई.एस. परमार मेमारियल वॉलीबाल टूर्नामेंट कांगड़ा जिले के पंचरुखी क्षेत्र में आयोजित किया गया, जबकि वर्ष 2023 में यह टूर्नामेंट शिमला के शोघी में आयोजित किया गया था।
प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में खेल संरचना के विकास के साथ-साथ खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे बहुआयामी प्रयास निश्चित तौर पर प्रदेश को खेलों के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने में दूरगामी भूमिका निभाएंगे।

गौतम कॉलेज हमीरपुर में एच.पी.यू. इंटर-कॉलेज बैडमिंटन (महिला) चैम्पियनशिप का शुभारंभ ।

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

हमीरपुर। गौतम कॉलेज, हमीरपुर (हि.प्र.) में आज एच.पी.यू. इंटर-कॉलेज बैडमिंटन (महिला) चैम्पियनशिप का भव्य शुभारंभ हुआ। यह प्रतियोगिता 10 और 11 नवम्बर 2025 तक आयोजित की जा रही है। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) चंदन भारद्वाज, प्राचार्य, सरकारी महाविद्यालय नादौन (जिला हमीरपुर, हि.प्र.) रहे।

 

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता गौतम ग्रुप ऑफ कॉलेजेज़ के प्रबंध निदेशक जगदीश गौतम ने की। इस अवसर पर सचिव डॉ. रजनीश गौतम, प्रो. (डॉ.) संजय कुमार, आयोजन सचिव डॉ. विनय शर्मा, सह-आयोजन सचिव डॉ. सुधीर सरलच तथा सभी खेल समन्वयक उपस्थित रहे। उद्घाटन मैच सरकारी महाविद्यालय पालमपुर और पी.जी. सेंटर शिमला के बीच खेला गया, जिसमें सरकारी महाविद्यालय पालमपुर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए विजय प्राप्त की।

 

 

दूसरा मैच सरकारी महाविद्यालय जंडूता और सरकारी महाविद्यालय हमीरपुर के बीच खेला गया। मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) चंदन भारद्वाज ने खिलाड़ियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि खेल न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक विकास के लिए भी आवश्यक हैं। कार्यक्रम के अंत में आयोजन सचिव डॉ. विनय शर्मा ने सभी अतिथियों और प्रतिभागी कॉलेजों का आभार व्यक्त किया।

केंद्र से 1,500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता नहीं हुई प्राप्तः मुख्यमंत्री

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

मंडी । पड्डल मैदान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्राकृतिक आपदाओं में अपनी सम्पत्तियां गंवाने वाले लोगों के लिए वित्तीय सहायता राशि 70,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद, राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर राज्य बनाने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर हिमाचल केवल एक राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि प्रदेश सरकार का जुनून और लोगों के प्रति एक प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि राज्य ने 6,000 अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में अपनाया है और सरकार विधवाओं के बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इस वर्ष आपदा के कारण हुई व्यापक क्षति को देखते हुए सरकार अपने सीमित संसाधनों से आपदा प्रभावितों को सहायता प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक घर बनाने में एक परिवार की पूरी जिंदगी लग जाती है, इसलिए इन स्थितियों में 1.30 लाख रुपये की मुआवज़ा राशि कैसे काफी हो सकती है। केंद्र सरकार घर के पुनर्निर्माण के लिए केवल इतनी ही सहायता राशि देती है, लेकिन एक साधारण पृष्टभूमि से संबंध रखने के कारण मैं आम लोगों के दुख-दर्द से भली-भांति परिचित  हूं। इसीलिए हमने पूरी तरह क्षतिग्रस्त घरों के लिए मुआवज़ा राशि को 1.30 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये किया है और आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए एक लाख रुपये की सहायता राशि दी जा रही है।
भाजपा पर राहत कार्यों का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर होता अगर मण्डी जिले के सभी भाजपा विधायक इस कार्यक्रम में शामिल होते जबकि उन्हें आमंत्रित किया गया था। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता आम लोगों की पीड़ा के प्रति असंवेदनशील हैं और उनका एकमात्र उद्देश्य राजनीति करना और झूठ फैलाना है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की घोषणा के दो महीने बाद भी हिमाचल प्रदेश को कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। वह स्वयं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के नेतृत्व में दिल्ली जाने के लिए तैयार है। मुझमें अहंकार का कोई भाव नहीं है और मेरा एकमात्र लक्ष्य आपदा पीड़ितों की मदद करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह केंद्र से बार-बार वन भूमि पर आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध कर रहे हैं।
श्री सुक्खू ने कहा कि वर्ष 2023 में राज्य सरकार ने 28,311 आपदा प्रभावितों को सहायता प्रदान की। उस समय उन्हें मुख्यमंत्री पद पर कार्यभार ग्रहण किए हुए कम ही समय हुआ था लेकिन हमने मिलकर आपदा का डटकर सामना किया। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने स्वयं रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर चंद्रताल झील में फंसे 300 पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाला। यह कांग्रेस सरकार की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने की दिशा में कार्य कर रही है। गाय के दूध के खरीद मूल्य को 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध के खरीद मूल्य को 61 रुपये प्रति लीटर किया गया है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं, मक्का, जौ और कच्ची हल्दी की खरीद भी सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने पारदर्शी तरीके से शराब के ठेकों की नीलामी करके एक साल में 450 करोड़ रुपये कमाए, जबकि पिछली भाजपा सरकार ने जनता के धन का दुरुपयोग किया। भाजपा सरकार ने ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए राज्य भर में 1,000 करोड़ रुपये की इमारतें बनवाईं। पूर्व सरकार ने बद्दी-नालागढ़ में बड़े उद्योगपतियों को एक विशेष पैकेज के तहत 5,000 बीघा भूमि केवल 14 लाख रुपये में आवंटित की। इसके बावजूद वहां एक भी उद्योग स्थापित नहीं किया जा सका, जबकि उस ज़मीन का वास्तविक बाजार मूल्य 5,000 करोड़ रुपये है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया। राज्य सरकार के कर्मचारी हितैषी निर्णय के बावजूद केंद्र सरकार ने राज्य पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। उन्होंने कहा, कि ‘मैं एक सरकारी कर्मचारी का बेटा हूं और मैंने यह प्रण लिया है कि जब तक मैं मुख्यमंत्री रहूंगा, हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासनकाल में हिमाचल प्रदेश गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मामले में 21वें स्थान पर था, लेकिन राज्य सरकार के सुधारों की बदौलत हम पांचवें स्थान पर पहुंच गए हैं। सरकारी क्षेत्र में 100 सीबीएसई आधारित स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य के लोग पड़ोसी राज्यों में इलाज के लिए सालाना 1,000 करोड़ रुपये खर्च कर रहे थे, लेकिन अब इस स्थिति में बदलाव आ रहा है। टांडा और चमियाना में रोबोटिक सर्जरी शुरू हो गई है और आधुनिक चिकित्सा उपकरणों की स्थापना के साथ-साथ चरणबद्ध तरीके से इस सुविधा को सभी मेडिकल कॉलेजों में शुरू किया जाएगा।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने इस अवसर पर कहा कि इस वर्ष न केवल हिमाचल प्रदेश, बल्कि उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पंजाब भी प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। केंद्र सरकार ने भाजपा शासित राज्यों को अधिक सहायता प्रदान करके हिमाचल के साथ भेदभाव किया है। उन्होंने कहा कि राज्य ने केंद्र से हिमाचल की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए राहत मापदंडों में संशोधन करने का आग्रह किया था, लेकिन इस अनुरोध को भी केंद्र सरकार ने नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
बागवानी मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने लोगों के दर्द को समझा और देश के सबसे बड़े मुआवज़े के पैकेज की घोषणा की। सभी प्रभावित परिवारों को समान सहायता सुनिश्चित करने के लिए यह विशेष राहत पैकेज पूरे राज्य में लागू किया जा रहा है और इसका क्रियान्वयन शुरू हो चुका है।
उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान सड़कें अवरुद्ध होने के बावजूद, एचपीएमसी ने बागवानों से रिकॉर्ड एक लाख टन सेब की खरीद सुनिश्चित की। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष से आपदा के दौरान प्राप्त धनराशि को सार्वजनिक करने की मांग की और भाजपा नेताओं पर संकट के समय में भी जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किए गए सुधारों के फलस्वरूप शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा में सुधार हो रहा है और उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से अधिकतम कल्याण सुनिश्चित किया जा रहा है।
तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि मंडी जिले के सराज और धर्मपुर विधानसभा क्षेत्रों में इस साल आपदा के कारण भारी नुकसान हुआ, जबकि बिलासपुर जिले में लगभग 500 परिवार प्रभावित हुए, जिन्हें अब वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
उन्होंने केंद्र की आलोचना करते हुए कहा किप्रधानमंत्री, जो हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं उन्होंने आपदा पीड़ितों को कोई राहत नहीं दी है। उनकी घोषणा के बावजूद 1,500 करोड़ रुपये की सहायता राशि महीनों बाद भी दिल्ली से शिमला नहीं पहुंची है। भाजपा हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग का समर्थन नहीं करती। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें बार-बार आर्थिक मदद लेने के लिए दिल्ली बुलाया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। हिमाचल प्रदेश में भाजपा के सात सांसद हैं, फिर भी उनमें से किसी ने भी आपदा पीड़ितों के लिए केंद्र से मद्द मांगने का साहस नहीं किया ।
तकनीकी शिक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री के समर्पण भाव की प्रशंसा करते हुए कहा कि खराब स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने वर्ष 2023 में आई आपदा के प्रभावितों की मदद के लिए व्यक्तिगत रूप से ज़मीनी स्तर पर कार्य किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के व्यवस्था परिवर्तन की मुहिम के फलस्वरूप हिमाचल शीघ्र ही आत्मनिर्भर राज्य बनकर उभरेगा।
विधायक चंद्रशेखर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पिछले तीन वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहा है। मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी विभागों ने त्वरित राहत और पुनर्वास कार्य सुनिश्चित कर प्रभावितों की मद्द की।
पर्यावरण संरक्षण की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि अब ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं में हो रही वृद्धि इसका प्रमाण है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राहत राशि को 1.30 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये करके संवेदनशीलता का परिचय दिया है। केंद्र ने 1,500 करोड़ रुपये की सहायता राशि की घोषणा की है, लेकिन 45 दिन बीत जाने के बाद भी हिमाचल प्रदेश तक एक भी रुपये की राशि नहीं पहुंची है। इन चुनौतियों के बावजूद, राज्य सरकार आपदा प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाना जारी रखे हुए है।
पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर और विधायक अनिल शर्मा ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे।

खेल गतिविधियों से ही जीती जा सकती है नशे के विरुद्ध लड़ाई – उपायुक्त

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 आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला । अनुपम कश्यप ने जिला की विभिन्न खेल संघों के साथ बैठक करते हुए कहा कि समाज में बढ़ रहे नशे के विरुद्ध लड़ाई को केवल खेल गतिविधियों से ही जीता जा सकता है। उन्होंने कहा कि खेलों को बढ़ावा देकर हम युवाओं को नशे से दूर रख सकते हैं और अपने आने वाली पीढ़ी को नशे से बचा सकते हैं।
उपायुक्त ने जिला की विभिन्न खेल संघों को नशे के विरुद्ध राज्य स्तर पर 15 नवम्बर, 2025 को शिमला में आयोजित की जाने वाली एंटी चिट्टा वॉकथॉन में बढ़चढ़ कर भाग लेने के लिए आग्रह किया। उन्होंने कहा कि खेल जगत से जुड़े नामी खिलाडियों को इस वॉकथॉन में शामिल होने के लिए बुलाया जाए ताकि स्कूली छात्रों को उनसे प्रेरणा मिले और वह नशे से दूर रहे। उन्होंने खेल संघों से आग्रह किया कि सभी खिलाडी इस दौरान पूरी किट और ड्रेस में आएं।
खेल मेला आयोजित करने के लिए तैयार करें रूपरेखा
उन्होंने खेल संघों को ‘खेल मेला’ आयोजित करवाने के लिए रूपरेखा तैयार करने के लिए कहा और इस आयोजन में पूर्ण सहयोग उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि स्कूलों में खेल एक नियमित गतिविधि होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, सभी स्कूल प्रबंधन अपने स्कूल के मैदान बच्चों को सुबह और शाम खेलने के लिए तथा खेल संघों को खेल गतिविधियां आयोजित करवाने के लिए उपलब्ध करवाएं।
अनुपम कश्यप ने कहा कि शहर में जहां भी पार्क है वहां ओपन एयर जिम स्थापित करने की दिशा में कार्य किया जाए। इसके अतिरिक्त, शहर में प्रस्तावित साइकिल ट्रैक की रिपोर्ट भी जल्दी भेजी जाए ताकि इस दिशा में कार्य किया जा सके।
इस बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त दिव्यांशु सिंगल, अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी (प्रोटोकॉल) ज्योति राणा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नवदीप सिंह, जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी राकेश धौता सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।

पुरानी योजनाएं भी नहीं चला पा रही है सुक्खू की सरकार ऐसा किसने कहा आप पूरा पढे

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

हमीरपुर । सुजानपुर में सर्व कल्याणकारी ट्रस्ट द्वारा आयोजित महिला सम्मान कार्यक्रम में पहुंचे नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कार्यक्रम के आयोजकों की जमकर तारीफ की। उन्होंने इस कार्यक्रम से जुड़ी स्मृतियों को साझा करते हुए बताया कि वह पहली बार 18 साल पहले प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल के साथ इस कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के नाते शामिल हुए थे। तब से लेकर आज तक यह संस्था लगातार अपने पथ पर आगे बढ़ रही है और हर वर्ष इस कार्यक्रम के दायरे में विस्तार होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं और सैनिकों को सम्मान के लिए जिस तरीके से यह संस्था, हमारे साथी और सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा, उनके पुत्र अभिषेक राणा  और उनके सहयोगी काम कर रहे हैं, वह अपने आप में अद्भुत है,  प्रशंसनीय है। हमेशा समाज और राष्ट्र हित को सर्वोपरि मानने वाले लोगों को यह सम्मान देना हमारे लिए भी गौरव की बात है। हमारी सरकार में महिलाओं को सम्मान देने और सशक्तिकरण करने के लिए हमने कई योजनाएं चलाई। मातृशक्ति की शिक्षा से लेकर प्रशिक्षण और व्यवसाय के लिए हर प्रबंध किए। लेकिन सुख की सरकार ने सब पर ताला जड़ दिया।

जयराम ठाकुर ने कहा कि देश में सेना और महिलाओं का सम्मान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। उनका योगदान अतुलनीय है। चाहे ऑपरेशन सिंदूर से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के माध्यम से पाकिस्तान को सबक सिखाकर  सेना के आत्म बल को आसमान तक पहुंचाना हो या महिलाओं के सम्मान के लिए अनगिनत योजनाएं चलाकर उनको सशक्त करना। यह भावना सिर्फ नरेंद्र मोदी ही प्रदर्शित कर सकते हैं। देश में महिलाओं को विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का काम नारी शक्ति वंदन अधिनियम के तहत प्रधानमंत्री ने किया। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश भर में दस  हजार से ज्यादा फार्मर प्रोडक्ट ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) बनाए। ड्रोन सखी जैसे योजनाएं चलाकर महिलाओं में आत्म बल और आत्म अभिमान का जो भाव भरा है।  वह आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी। 2 करोड़ लखपति दीदी बना कर दो करोड़ और लखपति दीदी बनाने के मिशन पर सरकार प्रधानमंत्री के निर्देशन में काम कर रही है। उज्जवला और  गृहिणी सुविधा जैसी योजनाओं से मातृशक्ति को धुआं मुक्त किचन दिया तो यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही विजन था। जनधन खाता हो या राशन कार्ड या फिर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाला आवास सभी योजनाओं में महिलाओं को प्राथमिकता देकर उनका सम्मान करने का काम भी नरेंद्र मोदी ने ही किया।

महिलाओं के लिए दर्जनों योजनाओं के जरिए लाखों करोड़ों रुपए मातृशक्ति को सीधे पहुंचाने के पीछे महिलाओं को सम्मान देने के साथ-साथ उनके सशक्तिकरण का काम हुआ है। यह सभी योजनाएं प्रधानमंत्री ने मातृशक्ति के कल्याण के लिए चलाई हैं। इसके लिए उन्होंने कोई भी गारंटी देशवासियों को नहीं दी थी। वहीं हिमाचल प्रदेश में 18 से 60 साल की मातृशक्ति को ₹1500 रुपए हर महीने देने की गारंटी देकर एक पैसा नहीं दिया।

जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को घेरते  हुए कहा कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि जयराम ठाकुर की सरकार ने कोई विकास नहीं कराया। जबकि तीन साल हो गया और वह हमारी सरकार द्वारा खोले गए संस्थान ही बंद कर रहे हैं। काम करना  तो दूर वह अभी भी हमारे द्वारा खोले गए सैकड़ों संस्थान अब तक वह कहां से बंद कर रहे हैं?

उन्होंने कहा कि हमीरपुर के पांच विधानसभा क्षेत्र में कोई भी ऐसा विधानसभा क्षेत्र नहीं होगा जहां पर उन्होंने दो दर्जन डेढ़ दर्जन संस्थाओं को बंद न किया हो। प्रदेश घर में अपने हजारों संस्थान बंद की और हमारे दर्जनों योजनाओं को आपने आधार में छोड़ दिया। आप नई योजनाएं चलना तो छोड़ दीजिए पूर्व सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं को भी नहीं चला पाए। प्रदेश में पहली बार ऐसी सरकार आई जो प्रदेशवासियों को विकास की बजाय विनाश के रास्ते पर ले जा रही है। प्रदेश को पहली बार ऐसा मुख्यमंत्री मिला है जिसे सुविधाओं और संस्थाओं को बंद करने में, जनता को प्रताड़ित करने में और सफेद झूठ बोलने में सुख की अनुभूति होती है।  मैं निजी तौर पर किसी के खिलाफ बोलना पसंद नहीं करता लेकिन एक विपक्ष के नेता के नाते प्रदेश के लोगों ने जो जिम्मेदारी दी है उसका निर्वहन करना मेरा फर्ज है और मैं प्रदेश के हितों की अनदेखी पर चुप होकर बैठ जाऊं। आज मुख्यमंत्री केंद्र सरकार पर बार-बार आरोप लगा रहे हैं लेकिन वह या नहीं बता रहे हैं कि उनका फर्ज क्या है? आपदा प्रभावितों को उनके हाल पर छोड़ देंगे? आज सरकार का कोई दायित्व नहीं है?

जयराम ठाकुर ने कहा कि आज प्रदेश के लोग हमें फोन करके कहते हैं कि हमें सहारा पेंशन नहीं मिल रही है। बुजुर्ग फोन करके कहते हैं कि बेटा 6 महीने से वृद्धा पेंशन का एक पैसा नहीं आया। बेटियां फोन करके कहती हैं अंकल जी शादी के इतने दिन बाद भी हमारी शगुन योजना का पैसा नहीं आ रहा है, कन्यादान योजना का पैसा नहीं आ रहा है। आए दिन लोग फोन करके बताते हैं कि उनका हिम केयर में इलाज नहीं हो रहा है। इसमें पूरे 5 लाख हैं लेकिन हमें दवाई नहीं मिल रही है। आपकी सरकार थी तब यह कार्ड काम करता था, हमने इलाज कराया था हमारे पड़ोसियों ने इलाज कराया था लेकिन आज नहीं चल रहा है तो क्यों नहीं चल रहा है? मुख्यमंत्री हम पर आरोप लगाने से पहले अपने काम को देखें। प्रदेश के लोगों की जुबान पर हमारी योजनाओं के नाम है। जुबान पर हमारी योजनाओं से मिले लाभ के किस्से हैं। न जाने कितने लोगों की जिंदगियां हमारी सरकार द्वारा बनाए गए हिम केयर कार्ड द्वारा बचाई गई है। आज तो आप इलाज के लिए मां के कंगन बिकवा रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आज प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। मित्रों  के अलावा मुख्यमंत्री को कुछ दिखाई नहीं देता है। कुछ दिन पहले बड़सर में मुख्यमंत्री आए थे एक वीडियो मैंने देखा एक व्यक्ति अपने बिस्तर के साथ आया था लेकिन मुख्यमंत्री उनसे मिले तक नहीं। जब तक मुख्यमंत्री लोगों से मिलेंगे नहीं तब तक उनका दुख दर्द कैसे समझेंगे? आज प्रदेश में चारों तरफ अराजकता है, हाहाकार है और मुख्यमंत्री अपने प्रचार तंत्र के माध्यम से अपने झूठ के माध्यम से यह साबित करना चाहते हैं कि सब कुछ सही है। मुख्यमंत्री जी अपनी आंखें खोले और प्रदेश के हाल देखें कि उन्होंने प्रदेश को कहां पहुंचा दिया है।

जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार को गंभीर बीमारियों और शिक्षा में नाकामी का दोषी ठहराया

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला से जारी बयान में सुक्खू सरकार को गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के प्रति संवेदनहीन और शिक्षा के मामले में नाकाम बताया। उन्होंने कहा कि सरकार प्रचार और मित्रमंडली के झूठे सहारे काम कर रही है और ऐसे हालात में भी लोगों के इलाज के लिए संवेदनशीलता नहीं दिखा रही। जयराम ठाकुर ने कहा कि हिम केयर योजना जैसी पूर्व सरकार की पवित्र पहल को वर्तमान सरकार ने बेकार कर दिया है और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे लोगों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है, जबकि सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए।

इस दौरान नेता प्रतिपक्ष ने शिक्षा क्षेत्र की भी नाकामी को उजागर किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 1,500 से अधिक स्कूल बंद कर दिए गए हैं, जिससे बच्चों को भारी असुविधा हो रही है। चौपाल विधानसभा क्षेत्र में एक स्कूल की दीवार ढह जाने के बाद 116 बच्चे ठंड में तिरपाल के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं, जिनमें 28 बच्चे प्री-नर्सरी के हैं, बिना शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाओं के बच्चों की पढ़ाई खतरे में है। जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री को जमीनी हकीकत समझने की आवश्यकता है और जनता के सामने झूठे दावे और मनगढ़ंत आंकड़ों का ढोंग बंद करना चाहिए। उन्होंने सरकार की जनहित और मातृशक्ति के प्रति किए वादों की अनदेखी पर भी कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने यह भी बताया कि वे हमीरपुर दौरे पर हैं और रविवार को सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के भरेटा ग्राउंड में आयोजित महिला सम्मान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे। जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार ने हर वर्ग के साथ नाइंसाफी की है और विशेषकर महिलाओं के साथ किए वादों को पूरा नहीं किया।

एसएफआई HPUDES इकाई का 36वां सम्मेलन सम्पन्न

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला। एसएफआई HPUDES इकाई का 36वां सम्मेलन हाल ही में सम्पन्न हुआ, जिसमें सौरभ शर्मा को इकाई अध्यक्ष और प्रवेश ठाकुर को इकाई सचिव के रूप में चुना गया इस सम्मेलन में 17 सदस्यीय नई कार्यकारिणी का भी गठन किया गया। इस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ज़िला सचिव पवन कुमार ने प्रदेश में जातीय उत्पीड़न, महिलाओं के साथ बढ़ती हिंसा और युवाओं में बढ़ती बेरोज़गारी जैसे गंभीर मुद्दों पर चिंता व्यक्त की गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रतिदिन महिलाओं के साथ उत्पीड़न के मामले बढ़ रहे हैं और वर्तमान में विधानसभा में केवल तीन महिला विधायक हैं। उन्होंने भारत की बेरोज़गारी स्थिति पर भी ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि 123 देशों में भारत 102वें स्थान पर है।

इस सम्मेलन में नई शिक्षा नीति 2020 के विरोध, छात्र संघ चुनाव बहाली, महिला उत्पीड़न और उच्च शिक्षा में छात्राओं की स्थिति जैसे प्रस्ताव रखे गए, जिन्हें सर्वसम्मति से पारित किया गया। इकाई सचिव प्रवेश ठाकुर ने अपने संबोधन में संगठन की आगामी योजनाओं का जिक्र किया, उन्होंने कहा कि महाविद्यालय परिसर में व्यापक सदस्यता अभियान चलाया जाएगा, जिसमें विशेष रूप से छात्राओं को जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही संगठन छात्राओं के अधिकारों और समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाएगा और एक सकारात्मक, संघर्षशील वातावरण तैयार करेगा। प्रवेश ठाकुर ने यह भी बताया कि संगठन आगामी समय में जागरूकता कार्यक्रम, सेमिनार और चर्चा सत्रों का आयोजन करेगा, जिससे छात्राओं में नेतृत्व क्षमता का विकास हो और वे समाज में अपनी भूमिका सशक्त रूप से निभा सकें। अंत में इकाई अध्यक्ष सौरभ शर्मा ने कहा कि संगठन कैंपस में छात्राओं के मुद्दों को लेकर उन्हें लामबंद करेगा और इनके समाधान के लिए आंदोलन करेगी।

कांग्रेस का वोट चोर अभियान केवल कागज़ी ड्रामा : त्रिलोक कपूर

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शिमला। भाजपा के प्रदेश वरिष्ठ प्रवक्ता त्रिलोक कपूर ने कांग्रेस द्वारा शुरू किए गए “वोट चोर अभियान” को पूरी तरह आधारहीन और भ्रामक करार दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं द्वारा शिमला से दिल्ली रवाना किए गए दस्तावेजों का बंडल केवल एक “कागज़ी अभियान” है, जिसमें सच्चाई का कोई आधार नहीं है। त्रिलोक कपूर ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पास अब कोई ठोस मुद्दा नहीं बचा है, इसलिए वह केवल “वोट पर शोर” मचा कर अपनी राजनीति को जीवित रखने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस के आरोपों में सच्चाई होती तो राहुल गांधी चुनाव आयोग को शपथपत्र या औपचारिक शिकायत प्रस्तुत करते, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इससे यह साबित होता है कि पूरा अभियान “मनगढ़ंत और राजनीति से प्रेरित” है।

इस दौरान भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पहले भी भ्रामक प्रचार करती रही है, उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले संसदीय सत्र में राहुल गांधी और उनके सहयोगी मिंटा देवी नामक महिला की तस्वीर टी-शर्ट पर छपवाकर संसद पहुंचे थे, जबकि बाद में उसी महिला ने कांग्रेस की आलोचना की थी। कपूर ने कहा कि राहुल गांधी “नकली नाम, नकली फोटो और नकली मुद्दों” के सहारे जनता को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन हर बार असफल रहे हैं। त्रिलोक कपूर ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के भीतर गुटबाज़ी अपने चरम पर है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस भवन के एक ही हॉल में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और मंत्री विक्रमादित्य सिंह के समर्थन में अलग अलग नारे लगे थे, जिससे यह स्पष्ट हो गया था कि हिमाचल कांग्रेस आंतरिक कलह से जूझ रही है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के आपसी मतभेद और सत्ता संघर्ष अब छिपे नहीं हैं। कांग्रेस नेताओं की बयानबाज़ी उनकी अंदरूनी कमजोरी और जनसमर्थन के अभाव को दिखाती है।

मुख्यमंत्री का बयान धर्म और आस्था का अपमान है : राकेश जमवाल

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शिमला। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता राकेश जमवाल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने भाजपा को “कलयुगी पांडव” कहा था। जमवाल ने कहा कि यह टिप्पणी न केवल धर्म और आस्था का अपमान है, बल्कि मुख्यमंत्री की मानसिकता और कांग्रेस की सनातन विरोधी प्रवृत्ति को भी उजागर करती है। उन्होंने कहा कि पांडव धर्म, सत्य और राष्ट्रनिष्ठा के प्रतीक हैं, जबकि “कलयुगी प्रवृत्ति कांग्रेस के चरित्र में बस चुकी है।” भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सुक्खू और कांग्रेस पार्टी सत्ता की कमजोर होती स्थिति से घबराई हुई है, और उसी बौखलाहट में इस प्रकार के बयान दे रही है जो हिमाचल की धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को ठेस पहुँचाते हैं।

इस दौरान राकेश जमवाल ने कहा कि कांग्रेस आज “कौरवों की कांग्रेस” बन चुकी है और सत्ता के मोह में अंधी, धर्म से विमुख और सत्य से दूर। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने सत्ता संभालने के बाद कहा था कि उनकी सरकार “97 प्रतिशत हिंदू आबादी को हराकर बनी है,” जो समाज को धर्म के आधार पर बाँटने वाली मानसिकता को दर्शाता है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास सनातन आस्था के विरोध से जुड़ा रहा है राम मंदिर निर्माण का विरोध करने से लेकर रामसेतु के अस्तित्व को नकारने तक और सुक्खू सरकार उसी सोच का विस्तार है, जो धर्मनिष्ठ जनता का अपमान करती है। जमवाल ने कहा कि हिमाचल की जनता धर्म, भक्ति और संस्कृति से गहराई से जुड़ी है, और ऐसे बयानों को कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार अपने अंत की ओर बढ़ रही है, क्योंकि “जो शक्ति धर्म के विरुद्ध खड़ी होती है, उसका अंत निश्चित होता है।

वंदे भारत सिर्फ़ राष्ट्रगीत नहीं, बल्कि जीते-जागते राष्ट्र की आत्मा है : अनुराग सिंह ठाकुर

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शिमला। राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर शिमला में आयोजित स्मरणोत्सव कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हमीरपुर लोकसभा सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि “वंदे भारत सिर्फ़ हमारा राष्ट्रगीत नहीं, बल्कि जीते-जागते राष्ट्र की आत्मा है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् ने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्रनायकों को एकजुट करने और देशभक्ति की भावना को प्रबल बनाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। अनुराग सिंह ठाकुर ने इस अवसर पर कहा, “भारत की एकता, अखंडता और स्वाधीनता के महायज्ञ में राष्ट्रगीत का योगदान अनुपम और अतुलनीय है और आज जब वंदे मातरम् 150 वर्ष की गौरवगाथा पूर्ण कर रहा है, तब हमें उन राष्ट्रनायकों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए जिन्होंने इस गीत को भारत की आत्मा में बसाया है।

इस दौरान अनुराग सिंह ठाकुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रगीत के सम्मान में स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी करने को देश के गौरव का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् हर भारतीय के हृदय में बहने वाली वह भावना है जो हमें मातृभूमि की माटी और उसकी अस्मिता से जोड़ती है। इस कार्यक्रम के दौरान सांसद ठाकुर ने नागरिकों से अपील की है कि वे 7 नवम्बर से 26 नवम्बर तक देशभर में आयोजित वंदे मातरम् सामूहिक गायन कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर भाग लें और राष्ट्रगीत के प्रति अपने सम्मान और समर्पण को प्रकट करें।

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