विशेष: अबकी बार, ओलिंपिक पर महामारी और मौसम का वार

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

कोविड महामारी से जुड़ी फ़िक्र और जापान की भीषण गर्मी, मिलकर बढ़ाएगी खिलाडियों की परेशानी

 आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

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आज से ओलिंपिक खेलों का आग़ाज़ हुआ है। इस बार का ओलंपियाड ख़ास है क्योंकि ओलिंपिक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब इन खेलों को किसी जंग के लिए नहीं बल्कि किसी महामारी की वजह से टाला गया हो। साल 2020 के टोक्यो ओलिंपिक के कोविड की वजह से टलने के पहले तीन बार (1916, 1940, 1944) टाला गया और टालने की वजह हमेशा कोई न कोई वैश्विक लड़ाई रही।

लेकिन देखा जाए तो XXXII ओलंपियाड भी एक जंग की वजह से ही टला है। मगर इस बार जंग सिर्फ कोविड महामारी से नहीं, बल्कि मौसम से भी है। ओलिंपिक खेल शुरू होने से कुछ दिन पहले, टोक्यो में इस सप्ताह गर्मी और आर्द्रता का स्तर चरम स्तर पर पहुंचा, जिस वजह से जापान की पर्यावरण एजेंसी को हीट स्ट्रोक अलर्ट जारी करना पड़ा। ओलिंपिक में दुनिया भर से एथलीट आते हैं और उन सबके लिए कोविड की फ़िक्र के साथ मौसम की फ़िक्र सर उठाये बैठी है टोक्यो में।

जापान के सरकारी डाटा से पता चलता है कि वेट बल्ब ग्लोब तापमान – गर्मी और आर्द्रता को मिलाकर एक नाप, जिसका उपयोग आयोजकों द्वारा सुरक्षा का आकलन करने के लिए किया जाता है – 31.8°C तक पहुंच गया। यह ट्रायथलॉन जैसे कुछ खेलों के लिए खतरे की सीमा के क़रीब है, जो WBGT का स्तर 32.2 ° C से ऊपर होने पर शुरू नहीं हो सकता है।

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ओलंपिक आयोजकों का कहना है कि वे जलवायु परिवर्तन से तीव्र हुए उच्च तापमानों के लिए तैयार हैं – लेकिन खेलों से पहले संकलित एक अध्ययन में, एथलीटों और वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि गर्मी और आर्द्रता प्रतियोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा कर सकती है।

रिंग्स ऑफ फायर: हाउ हीट कुड इम्पैक्ट द 2021 टोक्यो ओलंपिक (‘आग के छल्ले: गर्मी 2021 टोक्यो ओलंपिक को कैसे प्रभावित कर सकती है’) प्रमुख ट्रायथलेट्स, रोवर्स, टेनिस खिलाड़ियों, मैराथन धावकों और एथलीटों को चरम परिस्थितियों से कैसे निपटने इस पर सलाह देने वाले वैज्ञानिकों से सुनता है। इसे ब्रिटिश एसोसिएशन फॉर सस्टेनेबिलिटी इन स्पोर्ट (BASIS) और लीड्स यूनिवर्सिटी के प्रीस्टली इंटरनेशनल सेंटर फॉर क्लाइमेट और पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी के एक्सट्रीम एनवायरनमेंट लेबोरेटरी (चरम पर्यावरण प्रयोगशाला) के वैज्ञानिकों का समर्थन प्राप्त है।

इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए डॉ जॉनाथन बूज़न, भौतिकी संस्थान, जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र के ओशगर सेंटर (Oeschger Centre for Climate Change Research), बर्न विश्वविद्यालय, कहते हैं, “टोक्यो गर्मी और उमस के उच्च स्तरों से अनजान नहीं है, और जलवायु परिवर्तन के साथ मुझे आशा है कि खेलों में भाग लेने वाले सभी ओलंपियन इन परिस्थितियों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार आएं हैं। उन्हें यह कठिन लगेगा, और इंडुरेंस (सहनशीलता) एथलीटों को पता चलेगा के यह उनके प्रदर्शन को प्रभावित करेगा। इन खेलों की मुख्य स्वास्थ्य फोकस जापान के कोविड प्रकोप पर रही है, लेकिन आयोजकों को एथलीटों के प्रति देखभाल का कर्तव्य दिखाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इवेंट्स खतरनाक तापमानों में शुरू नहीं हों।”

नतीजतन, मैराथन और साइकिलिंग के इवेंट्स को पहले से ही ठंडे आबहवा में स्थानांतरित कर दिया गया है, लेकिन जुलाई में आगे बढ़ने से पहले अन्य खेलों को सुरक्षा जांच का सामना करना पड़ सकता है – जबकि IOC (आईओसी) को वैश्विक तापमान में वृद्धि के परिणामस्वरूप भविष्य के स्थल मानदंडों में जलवायु डाटा को एकीकृत करने की आवश्यकता हो सकती है। यादों में 2019 दोहा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गिरे हुए एथलीटों की तस्वीरें ताज़ा हैं और आयोजकों ने पहले से ही स्वीकार कर लिया है कि टोक्यो में गर्मी और उमस का स्तर एक ‘कुस्‍वप्‍न’ हो सकता है।

आगे, डॉ फहद सईद, वैज्ञानिक मॉडल और डाटा प्रबंधक – जलवायु एनालिटिक्स, कहते हैं, “जापान में हाल के वर्षों में रिकॉर्ड तोड़ हीट वेव्स देखी गई हैं, और हम जानते हैं कि यह मानव संचालित जलवायु परिवर्तन के कारण है। उच्च तापमान और आर्द्रता की एथलीटों के प्रदर्शन, विशेष रूप से आउटडोर खेलों में, पर दबाव डालने की संभावना है। हम जानते हैं कि 32°C वेट बल्ब तापमान पर बाहरी श्रम खतरनाक हो जाता है, यहां तक कि घातक भी। इसे मैराथन का प्रयास करने के साथ जोड़ दें, और आप गंभीर स्वास्थ्य खतरों के साथ खेल रहे हैं।”

इस नवंबर में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में वार्षिक COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन होने के साथ 2021 प्रमुख इवेंट्स का वर्ष है। सभी देशों से तेल, गैस और कोयले के उपयोग में कटौती के लिए अधिक मज़बूत लक्ष्यों की घोषणा करने की उम्मीद की जाती है – हालांकि प्रमुख कोयला उपयोगकर्ता जापान अब तक स्वच्छ ईंधन पर स्विच करने के प्रयासों का प्रतिरोध कर रहा है।

माइक टिपटन, पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में एक्सट्रीम एनवायरनमेंट लेबोरेटरी, स्कूल ऑफ स्पोर्ट, हेल्थ एंड एक्ससरसाइज़ साइंस में ह्यूमन एंड अप्लाइड फिजियोलॉजी (मानव और अनुप्रयुक्त शरीर क्रिया विज्ञान) के प्रोफेसर, कहते हैं, “ओलंपिक आयोजकों को इस रिपोर्ट में चेतावनियों को गंभीरता से लेना चाहिए वरना उन्हें एक्सहॉस्टशन (गर्मी की थकावट) के कारण प्रतियोगियों के ढहने के वास्तविक जोखिम का सामना करना पड़ेगा।”

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खिलाडियों का पक्ष रखते हुए एलीट ब्रिटिश रोवर मेलिसा विल्सन कहती हैं, “मुझे लगता है कि हम निश्चित रूप से एक खतरे के क्षेत्र की तरफ़ बढ़ रहे हैं… वह एक भयानक क्षण होता है जब आप एथलीटों को लाइन पार करते हुए देखते हैं, उनके शरीर पूरी तरह से थकावट में चूर-चूर पीछे गिरते हुए और फिर नहीं उठते हुए।”

मारा यामुइची, बीजिंग 2008 ओलंपिक एथलीट और अब तक की दूसरी सबसे तेज़ ब्रिटिश महिला मैराथन धावक कहती हैं, “मुझे पूरी उम्मीद है कि एथलीटों की भावी पीढ़ियां ओलंपिक मैराथन प्रतियोगिता में सुरक्षित रूप से में भाग लेने में सक्षम होगीं, जैसा करने में मैं भाग्यशाली रही थी। लेकिन अधिकाधिक गर्मी दशानुकूलन आवश्यक हो जाएगा, न कि गर्म वातावरण में प्रतिस्पर्धा करने वाले सभी मैराथन धावकों के लिए सिर्फ़ वांछनीय।”

टोक्यो, राजधानी शहर और 2021 ओलंपिक का मेज़बान, में औसत वार्षिक तापमान 1900 के बाद से 2.86°C बढ़ गया है, जो दुनिया के औसत से तीन गुना तेज़ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 1990 के दशक के बाद से टोक्यो में अधिकतम दैनिक तापमान 35°C से अधिक होना आम हो गया है, और 2018 में एक कठोर टोक्यो हीटवेव जलवायु परिवर्तन के बिना असंभव होती।

ब्रिटिश ट्रायथलॉन फेडरेशन के मुख्य कोच बेन ब्राइट कहते हैं, “रेस के दिन 1-2 डिग्री के अंतर का इस बात पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा कि क्या इवेंट (प्रतिस्पर्धा) चलाना सुरक्षित है।”

और अंत में BASIS के CEO रसेल सीमोर एक महत्वपूर्ण बात साझा करते हुए कहते हैं, “वह समय आ चूका है कि प्रमुख वैश्विक खेल आयोजनों के आयोजकों को जलवायु प्रभावों, साथ ही पर्यावरणीय सस्टेनेबिलिटी, को यह तय करने में एक केंद्रीय फैक्टर बनाया कि उन्हें कहां और कैसे होस्ट (आयोज) किया जाना चाहिए। जैसा कि इस रिपोर्ट से पता चलता है, हम जलवायु परिवर्तन को मामूली चिंता के रूप में देखना जारी नहीं रख सकते। एथलीटों और दर्शकों के लिए जोखिम एक केंद्रीय चिंता का विषय है।”