विशेष: क्या कर पाएंगे हम 100GW सोलर क्षमता का लक्ष्य हासिल

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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इस साल के अंत तक भारत ने अपने लिए 100 गीगावाट की सौर क्षमता एसटीहपीत करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन जेएमके रिसर्च और इंस्टीट्यूट फॉर एनेर्जी इक्नोमिक्स एंड फ़ाइनेंष्यल एनालिसिस (IEEFA) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने इस लक्ष्य से काफ़ी पीछे रह जाएगा। दरअसल, लक्ष्य हासिल न कर पाने की मुख्य वजह है रूफटॉप सोलर को आमजन से मिल रही फ़ीकी प्रतिक्रिया।

 

दिसंबर 2021 तक, भारत की संचयी स्थापित सौर क्षमता 55GW थी, जिसमें ग्रिड-कनेक्टेड यूटिलिटी-स्केलप्रोजेक्ट्सका योगदान 77% था और शेष योगदान ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सोलर (20%) और मिनी या माइक्रो ऑफ-ग्रिड प्रोजेक्ट्स (3%) से आ रहा था। .

 

साल 2022 के केवल आठ महीने बचे हैं, और अब तक 100GW के लक्ष्य का लगभग 50%, जिसमें 60GW यूटिलिटी-स्केल प्रोजेक्ट्स और 40GW रूफटॉप सौर क्षमता शामिल है, ही पूरा किया गया है। फ़िलहाल जो हालात हैं, उसमें साल 2022 में लगभग 19GW सौर क्षमता जोड़े जाने की उम्मीद है – जिसमें यूटिलिटी-स्केल प्रोजेक्ट्स से 15.8GW और रूफटॉप सोलर से 3.5GW।

 

इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जेएमके रिसर्च की संस्थापक, और रिपोर्ट की सह-लेखक ज्योति गुलिया कहती हैं, “इस क्षमता वृद्धि के साथ भी, भारत के 100GW सौर लक्ष्य का लगभग 27% छूट जाएगी।”

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2022 तक 40GW रूफटॉप सोलर टारगेट में 25GW की कमी होगी, जबकि यूटिलिटी-स्केल सोलर टारगेट में सिर्फ 1.8GW की कमी होगी।

 

गुलिया आगे कहती हैं, “यूटिलिटी-स्केल पर सौर क्षमता वृद्धि ट्रैक पर है। भारत अपने 60GW लक्ष्य का लगभग 97% हासिल करने के लिए तैयार है। इससे रूफटॉप सोलर के विस्तार की दिशा में अधिक ठोस प्रयास करना अनिवार्य हो जाता है।”

 

महामारी से जुड़ी सप्लाई चेन में आए व्यवधान से लेकर नीतिगत बाधाओं ने भारत के रूफटॉप सोलर (ऑनसाइट सोलर पावर) और ओपन एक्सेस सोलर (ऑफसाइट सोलर) इंस्टॉलेशन के विकास को बाधित किया है। इस क्रम में एनर्जी इकोनॉमिस्ट और IEEFA की इंडिया लीड और इस रिपोर्ट की सह-लेखक विभूति गर्ग कहती हैं, “2022 के सौर लक्ष्य से अनुमानित 27GW की कमी कई वजहों से है और इसके लिए तमाम चुनौतियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इन सब ने मिल कर अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों की समग्र प्रगति को धीमा किया है।”

 

वर्तमान गति और दिशा को देखते हुए रिपोर्ट में कहा गया है 2030 तक भारत के 300GW के सौर लक्ष्य में लगभग 86GW कि कसर रह जाएगी।

 

जिन वजहों से ऐसा कुछ होता दिख रहा है उनमें शामिल हैं: नियामक बाधाएं; नेट मीटरिंग कि सीमाएं; आयातित सेल और मॉड्यूल पर बेसिक सीमा शुल्क के दोहरे बोझ और मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूची से जुड़े मुद्दे; अहस्ताक्षरित बिजली आपूर्ति समझौते (पीएसए) और बैंकिंग प्रतिबंध; वित्तीय मुद्दों के साथ-साथ ओपन एक्सेस अनुमोदन अनुदान में देरी या अस्वीकृति; और भविष्य के खुले पहुंच शुल्क की अप्रत्याशितता।

 

जेएमके रिसर्च के सीनियर रिसर्च एसोसिएट और सह-लेखक अखिल थायिलम कहते हैं, “केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों और विनियमों को समग्र रूप से सौर क्षेत्र, और विशेष रूप से बाजार के बीमार रूफटॉप और ओपन एक्सेस सेगमेंट का समर्थन करने के लिए गठबंधन किया जाना चाहिए।”

 

रिपोर्ट में सौर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत को पटरी पर लाने के लिए लघु और दीर्घकालिक उपायों का प्रस्ताव दिया गया है।

 

लघु अवधि के उपाय  

 

. कम से कम अगले पांच वर्षों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर समान नीतियां लागू हों।

 

. नेट मीटरिंग और बैंकिंग सुविधाओं के लिए लगातार नियम राष्ट्रीय स्तर पर भी लागू हों।

 

. जब तक राज्यों के रूफ़ टॉप और ओपन एक्सेस के लक्ष्य पूरे नहीं हो जाते तब तक अक्षय ऊर्जा कि बैंकिंग पर प्रतिबंध रद्द किए जाएँ।

 

दीर्घावधि के उपाय 

 

. रिन्युब्ल परचेज़ ओबलीगेशन (RPO) का सख्त तौर से लागू किया जाए।

 

. वितरण कंपनियों ( डिस्कॉम ) की बेहतर वित्तीय स्थिति और संभावित निजीकरण के बारे में सोचा जाए।

 

. कौमर्शियल और इंडस्ट्रियल ग्राहकों के लिए क्रॉस सबसिडी चार्ज में कमी ।

 

. बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) के लिए पूंजीगत सब्सिडी।

 

“रूफटॉप सोलर में, गुजरात की सूर्य योजना जैसे राज्य-स्तरीय प्रयासों को अन्य राज्यों द्वारा अल्पावधि में दोहराने की आवश्यकता है ताकि क्षमता बढ़ाने में मदद मिल सके,” गुलिया कहती हैं ।

 

वो अंततः कहती हैं, “यह भी संभावना है कि सरकार, अल्पावधि में, उपयोगिता-पैमाने पर उत्पादन के लिए कुछ अनमेट रूफटॉप लक्ष्य को फिर से आवंटित करके 2022 तक 100GW लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सौर क्षमता में तेजी लाने के लिए आक्रामक रूप से जोर देगी।”

 

ऊर्जा अर्थशास्त्र और वित्तीय विश्लेषण संस्थान (IEEFA) ऊर्जा बाजारों, प्रवृत्तियों और नीतियों से संबंधित मुद्दों की जांच करता है। आईईईएफए का मिशन एक विविध, टिकाऊ और लाभदायक ऊर्जा अर्थव्यवस्था में संक्रमण को तेज करना है। वहीं जेएमके रिसर्च एंड एनालिटिक्स भारतीय और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को अक्षय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और बैटरी स्टोरेज मार्केट में अनुसंधान और सलाहकार सेवाएं प्रदान करता है।