आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव जैव उर्वरक है। यह केंचुआ आदि कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनाई जाती है। जिसमें बदबू न होने के साथ-साथ मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु क्रियाशील तथा सक्रिय रहते हैं। यह भूमि की उर्वरकता, वातायनता को तो बढ़ाता है साथ ही भूमि की जल सोखने की क्षमता में भी वृद्धि करता हैं।वर्मी कम्पोस्ट से अधिक पैदावार,भूमि में खरपतवार कम उगते हैं तथा पौधों में कम रोग लगते हैं और पौधों तथा भूमि के बीच आयनों के आदान प्रदान में वृद्धि होती हैं।
वन मंडल अधिकारी चंबा रजनीश महाजन केंचुआ खाद के संदर्भ में जानकारी देते हुए बताते हैं कि केएफडब्ल्यू से वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश वन परिस्थितिकी तंत्र जलवायु प्रूफिंग परियोजना है। जिसके अंतर्गत जिला में 38 ग्रामीण वन प्रबंधन समिति का गठन किया गया है। गठित की गई ग्रामीण वन समितियां के द्वारा प्रवेश बिंदु गतिविधियां जिसे आमदनी अर्जित गतिविधियां भी कहा जाता है के तहत जिला में केंचुआ खाद बनाने का कार्य किया जा रहा है।
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उन्होंने बताया कि परियोजना के अंतर्गत जिला में द्रमंण,ओड़ा और टपून सोसाइटी गठित की गई है जिनके द्वारा वन विभाग के सहयोग से केंचुआ खाद तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा चलाई गई योजना एक बूटा बेटी के नाम के तहत आयोजित की जा रही विभिन्न गतिविधियों केे लिए वन मंडल चंबा और डलहौजी के द्वारा इस केंचुआ खाद को उपयोग में लाया जा रहा है। इसके अलावा केंचुए खाद को प्रदेश के अन्य जिलों में भी बेचा जा रहा है। जिससे गठित की गई वन प्रबंधन समितियों को केंचुआ खाद के माध्यम से रोजगार के अच्छे अवसर उपलब्ध होने के साथ उनकी आर्थिक स्थिति में अच्छा सुधार हो रहा है।
उन्होंनेवन प्रबंधन समिति द्रमंण की सुनो का कहना है कि वन विभाग के सहयोग से ग्राम पंचायत ब्राह्मण के गांव काथला में हिमाचल प्रदेश वन परिस्थितिकी तंत्र जलवायु प्रूफिंग परियोजना के तहत ग्रामीण वन प्रबंधन समिति गठित की गई है जो सामूहिक तौर पर केंचुआ खाद तैयार कर रही है। उन्होंने बताया कि वन विभाग की ओर खाद को तैयार करने वाले पिट के निर्माण के लिए विभाग की ओर से 1 लाख 30 अनुदान राशि प्रदान की गई थी। उन्होंने बताया कि केंचुआ खाद तैयार करने के लिए बान, गुलाबी बराश के अलावा उपलब्ध अन्य पेड़ों की सूखी पत्तियों के साथ गोबर का घोल बनाकर पिट में डाल दिया जाता है और खाद में डाले जाने वाले केंचुए जो वन विभाग की ओर से उपलब्ध करवाए जाते हैं के साथ पिट को ढक दिया जाता है।
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उन्होंने बताया कि ढके गए पिट में तीन माह के भीतर केंचुआ खाद तैयार हो जाती है। उन्होंने बताया कि 10 लोग सामूहिक तौर पर इस कार्य को कर रहे हैं। गत वर्ष में समिति द्वारा लगभग 105 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट केंचुआ खाद तैयार की है। तैयार की गई केंचुआ खाद को वन मंडल चंबा और डलहौजी के अलावा प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में 10 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जा रहा है। समिति के प्रधान सुनो देवी ने बताया कि तेयार की जा रही वर्मीकंपोस्ट केंचुआ खाद से सोसाइटी से जुड़े सभी लोगों को अच्छी आमदनी अर्जित हो रही है।