हरित ऊर्जा पहल: पर्यावरण संरक्षण व राजकोष को संबल

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। हिमाचल प्रदेश को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य बनाने के प्रदेश सरकार के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। एक वर्ष पूर्व परिवहन विभाग में 19 ई-वाहन शामिल किए गए थे, जिससे न केवल धन की बचत बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित हुआ है। परिवहन विभाग में जीवाश्म ईंधन आधारित वाहनों के स्थान पर 19 इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से एक वर्ष की अल्पावधि में 28,32,853 रुपये की बचत हुई है। विभाग में ई-वाहनों का उपयोग करने से कार्बन उत्सर्जन में 87.318 टन की उल्लेखनीय कमी आई है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि परिवहन विभाग ई-वाहनों को अपनाने वाला देश का पहला विभाग है। सरकार का यह कदम पर्यावरण संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पिछले वर्ष 3 फरवरी को परिवहन विभाग को 19 ई-वाहन प्रदान किए गए थे।

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प्रदेशवासियों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रोत्साहित करने के दृष्टिगत मुख्यमंत्री स्वयं भी शिमला शहर में ई-वाहन का उपयोग कर रहे हैं। सरकार के इस कदम से पर्यावरण संरक्षण और हानिकारक कार्बन उत्सर्जन को कम करने में युवाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी। प्रदेश सरकार हरित ऊर्जा राज्य की संकल्पना को साकार करने की दिशा में प्रदेश में ई-मोबिलिटी को बढ़ावा प्रदान कर सतत विकास सुनिश्चित कर रही है। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार परिवहन क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने और शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए प्रतिबद्ध है। कार्बन फुटप्रिंट में कमी से लोगों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ग्रीन-मोबिलिटी के लिए राज्य सरकार बुनियादी ढांचे को भी मजबूत कर रही है और इस वित्त वर्ष के अंत तक छह ग्रीन कॉरिडोर तैयार हो जाएंगे।

राज्य सरकार ने 680 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना शुरू की है। इस योजना के पहले चरण में बेरोजगार युवाओं के लिए ई-टैक्सी की खरीद पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाती है। ऑपरेटर्ज ने सरकार के साथ इन ई-टैक्सी को संचालित करने के लिए सहमति व्यक्त की है। इससे युवाओं को रोजगार के साथ ही ई-वाहनों के संचालन को बड़े स्तर पर प्रोत्साहन भी मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना है ताकि इस पर व्यय होने वाली धनराशि का उपयोग जनकल्याण कार्यों के लिए किया जा सके। प्रदेश सरकार राज्य की पारिस्थितिकी को संरक्षित करते हुए पर्यावरण अनुकूल परिवहन को बढ़ावा प्रदान कर रही है। देश के अन्य राज्य भी इस पहल को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।