सेब बगीचों में स्कैब और अन्य बीमारियों के बढ़ते प्रकोप पर हिमाचल किसान सभा ने जताई चिंता

प्रदेश सरकार से की बागीचों में विशेषज्ञ की टीमें भेजने और कीटनाशक दवाईंया उपलब्ध करवाने की मांग

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। हिमाचल प्रदेश किसान सभा के वित्त सचिव संजय चौहान ने सेब बगीचों में सकैब व अन्य बीमारियों के बढ़ते प्रकोप पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा हैं कि हिमाचल प्रदेश किसान सभा प्रदेश सरकार से मांग करती हैं कि इसकी रोकथाम के लिए तुरंत ठोस कदम उठाए तथा विशेषज्ञ की टीमें सभी बगीचों में भेजी जाए तथा इसके लिए आवश्यक फफूंदीनाशक व अन्य सामग्री सब्सिडी पर ब्लॉक स्तर पर सभी बागवानी विभाग के केन्द्रों पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवा कर बागवानों को दी जाए ताकि बागवान तुरंत इनका छिड़काव कर इसकी रोकथाम कर सके। यदि समय रहते सकैब जैसी महामारी पर काबू पा कर रोकथाम नहीं की गई तो प्रदेश की 4500 करोड़ रुपए की सेब आर्थिकी तबाह हो जाएगी और इस संकट के समय में प्रदेश की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी।
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उन्होनें कहा कि प्रदेश के लगभग सभी सेब उत्पादक क्षेत्रों में इसका प्रकोप देखा जा रहा है। सेब उत्पादक सभी जिलों जिनमें शिमलाए कुल्लूए मंडीए किन्नौरए चम्बा में लगभग 60 प्रतिशत से अधिक बगीचों में सकैब का प्रकोप अधिक मात्रा में दिखाई दे रहा है और इन क्षेत्रों में बागवान बेहद परेशान हैं। सरकार की कृषि व बागवानी की नीतियों में बदलाव के कारण जो सरकार द्वारा दी जा रही सहायता में निरन्तर कटौती की जा रही है उसके कारण बागवानों को और अधिक परेशानी हुई है और संकट बढ़ रहा है।
सरकार के द्वारा किसानों व बागवानों को दी जा रही सहायता व सब्सिडी में निरन्तर कटौती करने के कारण कृषि व बागवानी की लागत वस्तुओं जैसे खादए बीजए फफूंदीनाशकए कीटनाशक व अन्य सामग्री की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है व इसके लिए किसानों व बागवानों को बाज़ार पर निर्भर रहना पड़ रहा है जिससे इनकी उत्पादन लागत निरन्तर बढ़ रही है और छोटा किसान तो संसाधनों के अभाव में पर्याप्त मात्रा में इन्हें प्राप्त भी नहीं कर पा रहा है। जिससे आज समय पर बागवानों द्वारा बगीचों में स्प्रे व अन्य कार्य न हो पाने के कारण भी आज इन बीमारियों का प्रकोप बड़ा है। उन्होनें कहा कि इस वर्ष बेमौसमी वर्षा अधिक होने व सरकार के द्वारा लॉक डाउन व कर्फ्यू के कारण तो यह संकट और अधिक गहरा गया है।
इस विषम परिस्थिति में सरकार को जिस रूप में सहायता प्रदान करने के लिए कार्य करना चाहिए था वह बिल्कुल भी नहीं कर रही है। आज भी अधिकांश प्रभावित बगीचों में बागवानी विभाग व विश्विद्यालय के विशेषज्ञ नहीं पहुंच पाए हैं। यदि कहीं पहुंचे हैं और जो फफूंदीनाशक व अन्य दवाओं के छिड़काव करने को कहा है वह सरकार द्वारा किसी भी बागवानी विभाग के केंद्र में उपलब्ध नहीं है। आज स्थिति यह है कि प्रदेश के किसी भी ज़िला में बागवानी विभाग उपदान पर बागवानों को सामग्री उपलब्ध नहीं करवा रहा है क्योंकि सरकार ने 2 वर्ष पूर्व जो सब्सिडी कीटनाशकए फफूंदीनाशक व अन्य सामग्री पर बागवानी विभाग के माध्यम से दे जाती थी उसे समाप्त कर दिया गया है।
    अब इस संकट की घड़ी में विशेष रूप से छोटा व मध्यम बागवान महंगी दरों पर कीटनाशकए फफूंदीनाशक व अन्य सामग्री लेने के लिए मजबूर हो गया है। जिसके कारण वह समय रहते छिड़काव नहीं कर पा रहे हैं और बगीचों में सकैब व अन्य बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। कुछ सेब उत्पादक क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों से सकैब रोग देखा गया था परन्तु सरकार की लचर नीतियों के कारण आज बड़े पैमाने पर लगभग प्रदेश के सभी जिलों में इसका प्रकोप देखा जा रहा है। यदि समय रहते इसकी रोकथाम के लिए सरकार द्वारा बागवानों को सहायता प्रदान नहीं की गई तो यह वर्ष 1982 की भांति भयंकर रूप ले लेगा और बड़े पैमाने पर सेब बगीचों को बर्बाद कर देगा।
किसान सभा ने प्रदेश सरकार से मांग की हैं कि सरकार सकैब व अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए संजीदगी से कदम उठाए तथा बागवानी विभाग व विश्विद्यालय के विशेषज्ञ की टीमें बगीचों में भेजकर बागवानों की सहयोग करे। यदि सरकार तुरन्त इन मांगों पर ग़ौर नही करती तो किसान सभा बागवानों को लामबन्द करेगी और इसकी शुरुआत 20 जुलाईए 2020 से ब्लॉक स्तर पर प्रदर्शन से किया जाएगा।

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