आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। सतलुज जल विद्युत परियोजना (एसजेवीएन) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नन्दलाल शर्मा ने कहा कि लॉक डाउन का विद्युत उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वित्तीय वर्ष 2019-20 में 9678 मेगावाट उत्पादन हुआ है। जो 15 प्रतिशत अधिक उत्पादन हुआ है। उन्होंने बताया कंम्पनी को 1651 करोड़ का लाभ हुआ है।
बुधवार को यहां मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हिमाचल, उत्तरांचल, बिहार, गुजरात, नेपाल और भूटान में 1 हजार 500 मेगावाट के पाॅजेक्ट पर कार्य चल रहा है। 2023-24 तक 5000 मेगावाट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित है। जबकि 2030 तक 12000 मेगावाट उत्पादन करेगी।
सीएमडी ने कहा कि निर्माण कार्यों में लेबर के पलायन के कारण असर पड़ा है। क्योंकि स्थानीय लोग टनल की खुदाई और भूमि कर अंदर के काम नहीं करते। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नेपाल के साथ राजनीतिक संबंध में कुछ हो सकता है लेकिन विद्युत उत्पादन सुचारू रूप से किया जा रहा है। हिमाचल में लूहरी प्रोजेक्ट में आगामी तीन माह में कार्य शुरू हो जाएगा। जबकि सतलुज बेसन में कार्य शुरू है। उन्होंने कहा कि चेनाव नदी पर तीन प्रोजेक्ट सरकार ने हमें दिए है। जिस पर डीपीआर बनाने के प्रक्रिया जारी है। जैसे ही केंद्र सरकार से मंजूरी मिलती है उसपर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नेपाल के साथ राजनीतिक संबंध में कुछ हो सकता है लेकिन विद्युत उत्पादन सुचारू रूप से किया जा रहा है। हिमाचल में लूहरी प्रोजेक्ट में आगामी तीन माह में कार्य शुरू हो जाएगा। जबकि सतलुज बेसन में कार्य शुरू है। उन्होंने कहा कि चेनाव नदी पर तीन प्रोजेक्ट सरकार ने हमें दिए है। जिस पर डीपीआर बनाने के प्रक्रिया जारी है। जैसे ही केंद्र सरकार से मंजूरी मिलती है उसपर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पीएम को कॉल पर करीब 32 हजार मेगावाट का फलक्चुएशन होना था लेकिन ग्रिड को फेल नहीं होने दिया गया। हाइड्रो प्रोजेक्ट को एक मिनट में बंद कर सकते हैं और एक मिनट में ही शुरू भी किया जा सकता है जबकि अन्य माध्यमों में ये सम्भव नहीं होता।
एक सवाल के जवाब में नंदलाल शर्मा ने कहा कि चीन से बेहद कम मशीनें व सामान यहां आता है। चीन व पाकिस्तान से कोई भी पीएसयू खरीदारी नहीं करेगा। भारतीय वेंडर्स को प्रमोट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक बेसिन में एक ही पीएसयू को सारे प्रोजेक्ट दिए जाने चाहिए जिसके निर्माण में भी आसानी होगी और स्थानीय लोगों के साथ उठने वाले मुद्दों का भी आसानी से समाधान हो सकेगा।