न्यू एजुकेशन पॉलिसी 20-20 को निवेश व इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौती से पाना होगा पार- राणा

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

हमीरपुर। शिक्षाविद कस्तूरी रंगन की कमेटी द्वारा देश में लाई गई शिक्षा नीति 1947 के बाद तीसरी बार की लाई शिक्षा नीति होगी। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कही है। राणा ने कहा कि यह शिक्षा नीति काफी बेहतर है, लेकिन एक ड्रीम प्रोजेक्ट की तरह है। उन्होंने कहा कि  शिक्षा नीति पर सवाल नहीं है, लेकिन इसकी इंप्लीमेंटेशन पर सवाल उठना लाजमी है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी 20-20 में स्कूली एजुकेशन व हायर एजुकेशन के साथ हर व्यक्ति को एक सामान एजुकेशन देना इस शिक्षा नीति की चुनौती रहेगी। मानव इतिहास में शिक्षा 16 संस्कारों में से सबसे अहम संस्कार माना जाता है। मोटे तौर पर अगर तीसरी राष्ट्रीय शिक्षा पॉलिसी पर बात करें तो इसकी इंप्लीमेंटेशन लगातार सवालों के घेरे में है। क्योंकि सरकार के पास अभी तक न तो स्कूलों में माकूल मूलभूत ढांचा मौजूद है और न ही इस शिक्षा नीति में बहुत सारी टीचर ट्रेनिंग को अंजाम देने का इंतजाम है।
कस्तूरी रंगन का विजन डाक्यूमेंट अच्छा है लेकिन सबको शिक्षा के सामान अवसर व क्वालिटी एजुकेशन इंप्लीमेंटेशन के बिंदु चुनौतियों से भरे हंै। अभी तक स्कूलों, कॉलेजों में टीचरों का लगातार टोटा चल रहा है। ऐसे में शिक्षा नीति का विजन डाक्यूमेंट अपने आप कोई चमत्कार नहीं दिखा पाएगा। राणा ने कहा कि शिक्षा सिर्फ केंद्र ही नहीं राज्यों का भी विषय है, ऐसे में कर्ज में डूबे हुए राज्य नई शिक्षा नीति को सफल बनाने के लिए फंडिंग कैसे कर पाएंगे। यह इस शिक्षा नीति की सफलता के लिए एक बड़ा सवाल होगा। राणा ने कहा कि सरकार को चाहिए कि जब भी संसद सत्र शुरू हो, तो इस शिक्षा नीति पर विपक्षी पार्टियों से भी इसको सफल बनाने की चुनौतियों को लेकर चर्चा हो। सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर विभाग का नाम बदलने से यह शिक्षा नीति सफल नहीं होगी। असली चुनौती तो शिक्षा में निवेश की रहेगी। वोकेशनल ट्रेनिंग, इंटर्नशिप के लिए कई स्कूलों और यहां तक कई कॉलेजों के पास कोई साधन ही नहीं है, तो ऐसे में वोकेशनल ट्रेनिंग व इंटर्नशिप को लागू करना संभव ही नहीं होगा।
    राणा ने कहा कि आजादी के बाद आई तीसरी शिक्षा नीति जैसी डाक्यूमेंटस पर दिख रही है, वह वैसे जमीनी स्तर पर दिखे। इसके लिए सरकार को कुल जीडीपी का 6 फीसदी शिक्षा पर निवेश करना होगा। क्या आर्थिक कंगाली से जूझ रहे देश व राज्यों में यह संभव होगा? नई शिक्षा नीति की निवेश की बड़ी चुनौती ही इसे हिट से फ्लॉप कर सकती है। राणा ने कहा कि कस्तूरी रंगन की शिक्षा नीति में मोटे तौर पर कोई कमी नहीं है, लेकिन इस ड्रीम डाक्यूमेंट को जमीनी स्तर पर लागू करना बड़ी चुनौती रहेगी। उन्होंने कहा कि अगर इस शिक्षा नीति को भी बीजेपी 15 लाख रुपया हर व्यक्ति के खाते में जमा करवाने के जुमले की तरह ही लेगी तो फिर डाक्यूमेंट जितना भी बेहतर हो यह शिक्षा नीति जुमला ही साबित हो सकती है।
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