कार्यशाला का प्राथमिक फोकस इन अधिकारियों और ऑपरेटरों को प्रमाणीकरण पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रशिक्षण प्रदान करना था। प्रशिक्षण में बुनियादी नेटवर्क तत्वों, बायोमेट्रिक उपकरणों के उपयोग और बायोमेट्रिक उपकरणों और आधार डेटा से संबंधित सुरक्षा के साथ-साथ सफल प्रमाणीकरण के लिए जनता का मार्गदर्शन करना शामिल था।
यूआईडीएआई के निदेशक, जगदीश कुमार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आधार यह सुनिश्चित करने में गेम चेंजिंग भूमिका निभा रहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुंचे और सरकार से सब्सिडी और अन्य वित्तीय लाभ का केवल योग्य नागरिक ही लाभ उठा सके। उन्होंने आगे उन आधार धारकों के दस्तावेज़ अपडेट करवाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों के दौरान कोई अपडेट नहीं किया है और साथ ही 5 और 15 वर्ष की आयु में अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेटेशन (एमबीयू) के महत्व पर भी जोर दिया।
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उन्होंने राज्य में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निदेशालय द्वारा संचालित ई-केवाईसी अभियान की सफलता की भी सराहना की। उन्होंने भूमि रिकॉर्ड, राशन वितरण, डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र, गैस सब्सिडी, मनरेगा और कई अन्य योजनाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों में आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के व्यापक उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने दोहराया कि इस कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान राज्य सरकार की पहल को बढ़ावा देगा जिससे हिमाचल प्रदेश के निवासियों को लाभ होगा।