कुल्लू: सूबे के कुल्लू जिले में सेब के नए बगीचों में इन दिनों बागवान नए पौधों रोपित कर रहे हैं, ऐसे में बागवानों द्वारा सबसे ज्यादा ध्यान रखें जाने वाला विष्य पौधेलगाते समय पॉलीनाइजर वैरायटी का खास ध्यान रखा जाना है. बगीचों में बेहतर सेब की सेटिंग के लिए पॉलीनाइजर वैरायटी के पौधे 25 से 30 प्रतिशत लगाने अति आवश्यक है.
बता दें कि इन दिनों कुल्लू जिले में बागवान नए पौधों को रोपित कर रहे हैं. ऐसे में बागवान बगीचों में पॉलीनाइजर किस्म को लगाने का नक्शा निर्धारित करें.
क्या कहते है विशेषज्ञ:
इस पर बागवानी विशेषज्ञों का कहना हैं कि पॉलीनाइजर वैरायटी के पौधों की भूमिका सेब फसल और गुणवत्ता के लिए जरूरी है. जिन क्षेत्रों में फूल आने के समय अधिक ठंड रहती है, उनमें 30 प्रतिशत पॉलीनाइजर का होना भी जरूरी है. सेब की अच्छी सेटिंग के लिए बगीचों में पॉलीनाइजर की किस्मों को लगाने की सलाह बागवानी विभाग के विशेषज्ञ समय-समय पर शिविर के माध्यम से बागवानों को देते है. जिन बगीचों में 25 से 30 प्रतिशत तक पॉलीनाइजर की किस्में है, उनमें सेब की फसल बेहतर होती है. साथ ही सेब की गुणवत्ता और भी उम्दा होती है. पॉलीनाइजर में रेड गोल्डन, ग्रीन स्मिथ, टाइडमैन और गाला जैसी नई किस्म प्रमुख हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि परागण की प्रक्रिया सबसे बेहतर मधुमक्खियों की ओर से होती है. इसके अलावा हवा और अन्य कीटों की ओर से भी परागण होता है. सदर फल एवं सब्जी उत्पादन संगठन के अध्यक्ष लाल चंद ठाकुर का कहना है कि जिन बगीचों में 25 से 30 फीसदी पॉलीनाइजर किस्म हैं, उनमें सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं. लिहाजा बागवानों को विशेष ध्यान पॉलीनाइजर किस्मों पर देना चाहिए.
बागवानी विभाग कुल्लू के उपनिदेशक कि यह है राय
बागवानी विभाग कुल्लू के उपनिदेशक डॉ. बीएम चौहान ने बताया कि पॉलीनाइजर किस्म लगाते समय निर्धारित करना चाहिए कि सौ सेब के पौधों वाले बगीचों में 25 से 30 प्रतिशत पॉलीनाइजर के पौधों का होना जरूरी है. गाला सेब पॉलीनाइजर का अच्छा विकल्प है. इसके अच्छे दाम भी मिल रहे हैं. इससे सेब की सेटिंग बेहतर और गुणवत्ता भी ज्यादा होगी.