रागा (RAGA) ने उठाया प्रदेश में पीजीआर को एसेंशियल कमोडिटी बनाने का मुद्दा, नौनी विश्वविद्यालय के कुलपति को लिखा पत्र

रोहड़ू: जिला शिमला क्षेत्र में बागवानी अनेकों परिवारों की आय का मुख्य स्रोत है और ज्यादातर परिवार बागवानी पर ही निर्भर है। ऐसे में बागवानों के हितों में क्षेत्र के बागवानों के संयुक्त प्रयास रोहड़ू एप्पल ग्रोवर्स एसोसिएशन (RAGA) बागवानी से जुड़े मुद्दों पर आवाज़ उठाता रहा है। इसी कड़ी में रागा (RAGA) की ओर से बागवान से जुड़े एक अहम मुद्दे, प्रदेश में पीजीआर के लीगल सेलिंग और पीजीआर को एसेंशियल कमोडिटी बनाने के लिए आवाज उठाई गई और इस संबंध में नौनी विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र भी लिखा गया।

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RAGA की ओर से नौनी विश्वविद्यालय के कुलपति को लिखे गए पत्र के जरिए पीजीआर के खरीद बेच को लेकर प्रदेश की वर्तमान स्थिति से भी अवगत कराया गया। प्रदेश में बहुत से प्रगतिशील बागवान पीजीआर जैसे हार्मोन अल्केमिकल का प्रयोग सेब को फ्रॉस्ट इंजरी से बचाने, फैदर डेवलपमेंट करने के साथ साथ शुट ग्रोथ को नियंत्रित करने के साथ-साथ फसल छटाई यानी थिनिंग के लिए पीजीआर का इस्तेमाल कर रहे हैं और इसे आधुनिक बागवानी की एक जरूरत भी कहा जा सकता है। मगर पीजीआर तक हर किसी की पहुंच अभी नहीं है और प्रदेश में इसके खरीद बेच में भी बेहद सी बाधाएं है।

विश्व भर के देशों में PGR का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है। बात भारत राष्ट्र की करें तो यहां पर भी कंपनियों के द्वारा पीजीआर जैसे प्रॉमिलीन और परलान काट्राइल विभिन्न क्षेत्रों में किया गया जिसके परिणाम भी बेहतर निकल कर आए लेकिन अब तक हिमाचल प्रदेश जैसे बागवानी बहुल राज्य में PGR की खरीद-फरोख्त को लेकर कोई व्यवस्था स्थापित नहीं की गई है नाही प्रदेश में पीजीआर लीगल तौर पर बेचा जा सकता है ना ही इसे एसेंशियल कमोडिटी के तौर पर मान्यता दी गई है ऐसे में प्रदेश भर में पीजीआर इल्लीगल तरीके से बेचा जा रहा है जिसके कारण प्रदेशभर के बागवानों को बेहद ऊंचे दामों पर पीजीआर उपलब्ध हो रहा है।

ऐसे में रोहड़ू एप्पल ग्रोवर्स एसोसिएशन ने पत्र के माध्यम से कुलपति नौनी विश्वविद्यालय को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर संज्ञान लेने का अनुरोध जताया है और मांग की है कि पीजीआर को प्रदेश में एसेंशियल कमोडिटी के तौर पर मान्यता दी जाए और इसकी खरीद-फरोख्त को सरकारी व वैज्ञानिकों के सर्विलेंस के आधीन लाया जाए जिससे एक तो बागवानों को पीजीआर सही दामों पर उपलब्ध हो और छोटे और मध्यम वर्गीय बगवानों की पहुंच भी पीजीआर तक हो सके। और दूसरा बाज़ार में नकली पीजीआर जो एक बेहद गंभीर विषय है उस पर भी नक्कालों से बचने के लिए बागवानों के पास कुछ रास्ता तो हो।

रोहड़ू एप्पल ग्रोवर्स एसोसिएशन का उद्देश्य बागवानों के हितों में निरंतर प्रयासरत रहना है और बागवानी से जुड़े मुद्दों को चर्चा का विषय है बनाने की ओर है ताकि प्रदेश की बागवानी को एक नई गति और नई दिशा मिल सके। बागवानी पेशे के तौर पर विकसित हो सकती है और बागवान खुशहाल हो सकता है केवल आवश्यकता है कुछ महत्वपूर्ण बदलाव की, थोड़ा प्रगतिशील होने की, ताकि बागवानी का भविष्य राष्ट्र की उन्नतिमय भविष्य का हिस्सा बन सके।