बस किराये का टिकट कम करें नहीं तो आने वाले चुनाव में जनता बड़े बड़ों के टिकट काट देगी- त्रिलोक सूर्यवंशी

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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बैजनाथ

कांगड़ा जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष त्रिलोक सूर्यवंशी ने हिमाचल के मुखिया पर तंज कसते हुए पूछा कि क्या… मुख्यमंत्री के पेन की स्याही खत्म हो गई है जो न्यूनतम बस किराए की अधिसूचना जारी नहीं हो पा रही है या फिर प्रदेश की जनता को मूर्ख बनाने के लिए ही घोषणाएं की जा रही है।

उन्होंने कहा कि जब भी भाजपा सरकार उद्योगपतियों या फिर ट्रांसपोर्टरों के हित में फैसले लेती है तो तुरन्त प्रभाव से लागू करती है और जब जनता को राहत देने की बात होती है तो महीनों लग जाते हैं। इसका उदाहरण बस किराए से साफ मिलता है।

सूर्यवंशी ने कहा कि हिमाचल में भाजपा सरकार ने दो बार बस किराए में वृद्धि कर आम और गरीब लोगों पर आर्थिक बोझ लादा। यही नहीं न्यूनतम किराया पूर्व कांग्रेस सरकार के समय तीन रुपये तीन किलोमीटर रखा गया था जबकि इस सरकार ने पहले तीन से पांच रुपये और फिर पांच से सात रुपये कर डाला। ये निर्णय सिर्फ अपने चहेते ट्रांसपोर्टरों को लाभ पहुंचाने के मकसद से किया गया। यह जानते हुए कि बसों में आम और गरीब तबका ही सफ़र करता है। वह आम आदमी जो दिन भर मेहनत मजदूरी कर अपना खून पसीना बहाकर शाम को अपने परिवार की उम्मीदें पूरी करने के लिए तीन- चार सौ रुपये की दिहाड़ी कमाता है। जिसमें से आधा तो सफ़र में ही खर्च करना पड़ता है।

हैरानी इस बात की है कि करीब डेढ़ माह पूर्व मुख्यमंत्री ने न्यूनतम बस किराए तो 7 से 5 रुपये करने की घोषणा कर खूब वाहवाही लूटी और आम जनता के हितैषी बनने की कोशिश की। सूर्यवंशी ने कहा कि करीब 10 दिन पूर्व जब कैबिनेट में बस किराया घटाने का फैसला भी किया लेकिन न जाने क्यों आज तक इसे लागू करने के लिए अधिसूचना करवाने से क्यों कतरा रहे हैं जबकि किराया बढ़ाने की अधिसूचना तुरन्त कर डाली थी।

त्रिलोक सूर्यवंशी ने आरोप लगाया कि क्या सरकार द्वारा जन हितैषी बनने का सिर्फ स्वांग रचा जा रहा है या फिर इसके पीछे आम के बजाय खास लोगों को लाभ देने का मकसद छुपा है।

उन्होंने मुख्यमंत्री एवं परिवहन मंत्री से आग्रह किया कि आम जनता को राहत देने के लिए न्यूनतम बस किराए की अधिसूचना तुरन्त जारी करें तथा साथ ही महंगाई से राहत देने के लिए बस किराए में भी कटौती की जाए अन्यथा आने वाले दिनों में जनता बड़े बड़ों का टिकट काट देगी।