आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। एक शेड्यूल “ए” तथा मिनी रत्न विद्युत पीएसयू एसजेवीएन ने अपनी सौर, पवन, हाईब्रिड (पवन एवं सौर) तथा हाइब्रिड (पवन, सौर एवं बैटरी स्टोरेज) ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विंड एनर्जी (एनआईडब्ल्यूई) से तकनीकी परामर्शी सेवाओं को प्रदान करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
एनआईडब्ल्यूई सौर, पवन, मिश्रित (पवन एवं सौर) तथा मिश्रित (पवन, सौर एवं बैटरी स्टोरेज) ऊर्जा परियोजनाओं की संभाव्यता तथा तकनीकी व्यवसायिक पक्षों के मूल्यांकन तथा विभिन्न परियोजनाओं की संकल्पना से लेकर कमिशनिंग तक के सभी संबंधित पक्षों को शामिल करते हुए विस्तृत परियोजना रिपोर्टें, लागत अनुमान तथा बोली दस्तावेजों की तैयार करने में एसजेवीएन को सहयोग देगा।
इस अवसर पर बोलते हुए एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, नन्द लाल शर्मा ने कहा कि भारत सरकार सन 2022 तक 175 गीगाबाइट तथा सन् 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की स्थापना करने के लक्ष्य पर चल रही है और इस परिप्रेक्ष्य में एसजेवीएन तथा एनआईडब्ल्यूई के संयुक्त प्रयासों से इस लक्ष्य को प्राप्त करने और हमारे राष्ट्र को अबाधित बिजली उपलब्ध कराने के लक्ष्य की प्राप्ति में तेजी आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इन प्रयासों से एसजेवीएन के सन 2040 तक 25000 मेगावाट कंपनी बनने के सांझे विज़न को पूरा किया जा सकेगा।
वर्चुअल समारोह में निष्पादित हुए इस समझौता ज्ञापन पर एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री नन्द लाल शर्मा, एनआईडब्ल्यूई के महानिदेशक, डॉ. के बालारमण ने निदेशक (कार्मिक) गीता कपूर, निदेशक (सिविल) एस. पी. बंसल, निदेशक (वित्त) श्री ए .के. सिंह, निदेशक (विद्युत) सुशील शर्मा की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए और इस अवसर पर एसजेवीएन तथा एनआईडब्ल्यूई के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
, उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात के अलावा नेपाल और भूटान के पड़ोसी देशों में विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कर रहा है।