आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला।इफको ने हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के किसानों के लिए नैनो यूरिया की खेप को रवाना किया। वर्चुएल कार्यक्रम के दौरान नैनो यूरिया की खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते हुए इफको के अध्यक्ष बी .एस. नकई ने कहा कि किसानो द्वारा नैनो यूरिया के उपयोग से न केवल मृदा स्वास्थ्य और फसल उत्पादकता में सुधार होगा बल्कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में भी कमी आएगी।
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि नेनो यूरिया पर्यावरण हितैषी होने के साथ.साथ फसलों के लिए काफी असरदार है। पैदावार की दृष्टि से नैनो यूरिया की आधे लीटर की एक बोतल पारंपरिक यूरिया के एक बैग के बराबर है। कई फसलों पर इसका परीक्षण किया गया है और परिणामों में यह देखा गया कि फसलों की उपज के साथ.साथ उनके पोषण की गुणवत्ता बढ़ाने में भी नैनो यूरिया लाभकारी है।
किसान पहाड़ी क्षेत्र में पारंपरिक यूरिया के 45 किग्रा के एक बैग को कंधे पर ढोने की बजाय इफको नैनो यूरिया की 500 मिली लीटर की एक बोतल अपने खेतों तक आसानी से ले जा सकते हैं। डॉ. अवस्थी ने कहा कि नैनो यूरिया (तरल) पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों में पर्यावरण को बेहतर बनाने में काफी मददगार साबित होगा।
पहले चरण में वर्ष 2021.22 के दौरान इफको की गुजरात स्थित कलोल इकाई तथा उत्तर प्रदेश की आंवला और फूलपुर इकाई में भी नैनो यूरिया संयंत्रों का निर्माण चल रहा है। शुरू में इन संयंत्रों में 500 मिली लीटर की नैनो यूरिया की कुल वार्षिक उत्पादन क्षमता 14 करोड़ बोतल होगी जो बाद में बढ़कर 18 करोड़ बोतल हो जाएगी।
कलोल संयंत्र प्रतिदिन 15000 बोतल नैनो यूरिया के साथ एक ट्रक भेज रहा है और जल्द ही संयंत्र हर दिन 10 ट्रक भेजेगा। उन्होंने कहा कि कलोल संयंत्र से प्रतिदिन 6750 टन यूरिया का उत्पादन हो रहा है जिससे सरकार को सब्सिडी बोझ से 35000 करोड़ रुपये की बचत होगी और किसानों को 35000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी। दूसरे चरण में वर्ष 2022.23 तक चार और संयंत्र चालू हो जाएंगे। इस प्रकार नैनो यूरिया की अतिरिक्त 18 करोड़ बोतलों का उत्पादन होगा।
आईसीएआर के 20 अनुसंधान संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के जरिए 11000 से अधिक स्थानों और 94 फसलों पर इसका परीक्षण किया गया है। परीक्षण के परिणामों में यह देखा गया कि फसलों की उपज के साथ.साथ उनके पोषण की गुणवत्ता बढ़ाने में भी नैनो यूरिया लाभकारी है।