राज्य स्तरीय पहाड़ी दिवस में पूरे प्रदेश से आए विद्वानों ने किया पहाड़ी कविता पाठ

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 30 अक्तूबर, से 1 नवम्बर,तक राज्य स्तरीय पहाड़ी दिवस का आयोजन गेयटी थियेटर शिमला में आयोजित किया गया। साहित्यिक कार्यक्रम के दूसरे दिन पहाड़ी कवि सम्मेलन का शुभारम्भ मुख्य अतिथि आदित्य नेगी (भा. प्र.से), उपायुक्त, जिला शिमला द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। इस सत्र में  के. आर. भारती विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। पहाड़ी कवि सम्मेलन की अध्यक्षता सूरत ठाकुर ने की। कार्यक्रम के प्रारंभ विभाग की सहायक निदेशक कुसुम संघाईक ने मुख्य अतिथि तथा अन्य गणमान्य अतिथिगणों तथा पूरे प्रदेश से आए विद्वानों का स्वागत किया।

 

 

कार्यक्रम का अगला मंच संचालन प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार  रमेश मस्ताना ने किया। इस समारोह में आमंत्रित कवियों में सोलन से यादव किशोर गौत ने ‘खींदा बीचे नेता जम्मे’, डाॅ. उŸाम चैहान, प्रमोद कुमार ने ‘पहाड़ी बोली मीठी बोली बोले हिमाचली लोग’, के. सी. परिहार, हेमन्त अत्री ने ‘करव चैथा रा आ गोआ त्यौहार’, रामलाल वर्मा ने ‘तिन्ना रा नेई राखदा मिं-हजय कौऐ ख्याल’, बिलासपुर से रतन चंद नि-हजर्यर ने ‘कानूनी व्याटणा एतणी दूर’, सुरेन्द्र मिन्हास ने ‘किती बाहणी फसलां हुण किती खेलगे खेला’, अमर नाथ धीमान ने ‘इक दिनहऊँ चलदा चलदा’, डाॅ. ओम प्रकाश शर्मा ने ‘छोटू र बजुर्ग’, रोशन लाल पराशर ने ‘सुअख दुअख म्हारे करमा री खेती’, कल्पना गांगटा ने ‘बदला जमाना’, हितेन्द्र शर्मा ने ‘पहाड़ी रा सम्मान’, दिनेश गजटा ने ‘सुचिंयों कौरी पिनो’, नारायण सिंह वर्मा ने ‘ऐ अस्सो मजदूरा तेरी जिन्दगी रा बसेरा’, पूजा सूद ने ‘बड़ा सोहणा, बड़ा छैल म्हांचल मिंजो लगदा’, वंदना राणा ने ‘मेरे इमाचले दिया गल्लां बखरियां’, धर्मपाल भारद्वाज ने ‘हामैं हिमाच़ौली’, मण्डी से डाॅ. मनोहर अनमोल ने ‘बरखा’, अनु ठाकुर ने ‘नशे की आग’, हमीरपुर से दलीप सिंह ने ‘दो भांडे अधूचैं जरूर टकरांदे’ होशियार सिंह गौतम ने ‘मत उडांदे असौ  दा हासा’, ऊना से ओम प्रकाश  शर्मा ने ‘मही नाम का गांव जिहदा’, शिवानी देवी, सुलेखा देवी, कुन्दन लाल शर्मा ने ‘जित्यंु वणाह वसूरी वरना’, कांगड़ा के शक्ति चंद राणा ने ‘कदी पुच्छ मेरी वी’, रमेश चन्द मस्ताना, सिरमौर से ईश्वर दास राही ने ‘बिना मोबाईले गोरू वो’, प्रेमपाल आर्य ने  ‘ठगड़ी बात’, नरेन्द्र कुमार शर्मा, महेश शर्मा, नवल ठाकुर, भूपरंजन, जगदीश कश्यप, नरेन्द्र कुमार शर्मा, भूप सिंह रंजन व अमृतांजलि ने पहाड़ी कविता पाठ किया।

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कार्यक्रम के अंतिम दि न ठोडा लोकनृत्य (शिमला), मुसादा गायन (चम्बा), बुडियाच लोकनृत्य  (कुपवी, शिमला), -हजयूरी लोक गायन (शिमला),  लोक रामायण/भर्तृहरि लोक गायन (शिमला/सिरमौर),  पांरम्परिक लोक वाद्यदल (करसोग मण्डी) व करयाला/स्वांग (शिमला) द्वारा हिमाचल की सांस्कृतिक -हजयलक प्रदर्शित की गई।

 

मुख्य अतिथि आदित्य नेगी (भा.प्र.से), उपायुक्त, जिला शिमला ने सर्वप्रथम सभी को पहाड़ी दिवस की बधाई दी। श्री आदित्य नेगी ने कहा कि हमारी संस्कृति किस दिशा में जा रही है इस पर हम सभी को चिंतन करने की आवश्यकता है। हमें अपनी युवा पी-सजय़ी को अपनी संस्कृति से जोड़े रखने के लिए समुचित कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि हमारे मेले तथा त्योहारों में भी मूल संस्कृति मिश्रित होती जा रही है जो कि एक चिंता का विषय है।

 

उन्होंने प्रदेश भर से आए सभी साहित्यकारों को युवा पी-सजय़ी को अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक करने तथा अन्य ज्वलंत मुद्दों पर मिलकर कार्य करने का आहवान किया। समारोह के अंत में विभाग के संयुक्त निदेशक मनजीत शर्मा ने उपस्थित समस्त साहित्यकारों का धन्यवाद किया। इस दो दिवसीय साहित्यिक आयोजन में हिमाचल प्रदेश के लगभग 60 विद्वानों ने भाग लिया तथा सांस्कृतिक समारोह में एम्फी थियेटर शिमला में हिमाचल के पारम्परिक लोक वाद्य, लोक नाट्य, लोक गायन व लोकनृत्यों के माध्यम से विभिन्न जिलों की सांस्कृतिक -हजयलक प्रदर्शित की गई। इस कार्यक्रम में विभाग के भाषा अधिकारी सुरेश राणा, अनिल हारटा, सरोजना नरवाल व संतोष कुमार उपस्थिते रहे।