ऑनलाइन शिक्षा चुनौती से भरी शिक्षा

 
पुराने समय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए बच्चों को गुरुकुल भेजा जाता था, जहां पर वह शिक्षा के साथ-साथ जिंदगी को जीने के अन्य तौर-तरीके भी सीखते थे खैर यह पुराने समय की बातें हैं। शिक्षा में बदलाव और विस्तार समय समय पर होता रहा है और इसको महसूस भी किया गया है हालांकि जो शिक्षा आजकल दी जाती है। उसकी शुरुआत अंग्रेजों द्वारा की गई थी। लेकिन उस पर ध्यान उतना ज्यादा नहीं दिया गया था।
आजादी के बाद शिक्षा पर पूर्ण रूप से ध्यान दिया गया और समय-समय पर उसमें उचित बदलाव भी किए गए। ताकि अच्छी से अच्छी शिक्षा बच्चों को दी जा सके। ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल जाए जिसके लिए 1995 में एक प्रावधान दिया गया और उसको लागू भी किया गया जिसमें बच्चों को दोपहर का खाना स्कूल में ही दिया जाना शुरू कर दिया। उसके बाद शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में 2002 में संविधान के अनुच्छेद 21 में 21(A) जोड़ा गया जिसमें 6-14 साल के बच्चे को शिक्षा जरूरी कर दी गई, जिसका मकसद था की हर एक बच्चे को स्कूल तक पहुंचाया जाए और काफी हद तक इसमें सरकार को कामयाबी भी मिली है।
वर्ष 2020 की शुरुआत में एक बीमारी पूरी दुनिया में फैली जिसकी वजह से बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सब घरों में कैद होने के लिए मजबूर हो गए। तकरीबन 3 महीने बीत चुके हैं और स्कूल,कॉलेज वह अन्य शिक्षण संस्थान बंद पड़े हैं ऐसे में बच्चों की शिक्षा बहुत प्रभावित हो रही है। जिसके बाद सरकार ने शिक्षा को ऑनलाइन दी जाने की तैयारी शुरू की। लेकिन ऑनलाइन शिक्षा एक विकल्प हो सकता है जो थोड़े समय के लिए तो काम करेगा परंतु स्कूली शिक्षा को पूरी तरह ऑनलाइन में नहीं बदला जा सकता। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ेगा क्योंकि स्कूल में बच्चे केवल पढ़ाई ही नहीं करते बल्कि उसके साथ वह यह भी सीखते हैं कि समाज में कैसे रहना है व लोगों से किस तरह से मिलना जुलना है इसके साथ वह अनुशासन में रहना भी सीखते हैं शिक्षा के साथ-साथ वह स्कूल में अन्य चीजें भी सीखते हैं जोकि उनको जिंदगी भर काम आती है।
जैसा कि हम सब जानते हैं की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में रहने की कला को वह प्रारंभिक रूप से स्कूल में ही सीखता है ऐसे में वह ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई तो कर सकता है परंतु बाकी चीजें नहीं सीख पाएगा इसलिए स्कूली शिक्षा बच्चों के शारीरिक,मानसिक व भौतिक विकास के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं यह नहीं कहती की ऑनलाइन माध्यम की पढ़ाई अच्छी नहीं है परंतु यह केवल बच्चों को पढ़ाई करना ही सिखा रही है इसलिए हमें यह ध्यान में रखना होगा की कुछ समय के बाद हमें बच्चों की पढ़ाई के लिए और उनके विकास के लिए किसी अन्य माध्यम की तलाश करनी होगी।
इसके साथ साथ हम यह भी जानते हैं की भारत मैं इंटरनेट का विस्तार इतना अधिक नहीं हुआ है जिसकी वजह से बच्चों को पढ़ाई करने में कठिनाई आ सकती है। हम यह भी जानते हैं की लोगों के पास पढ़ाई करने के लिए जिस तरह के उपकरणों की जरूरत है वह सबके पास नहीं है कुछ लोग ऐसे भी है जिनके घर में एक ही मोबाइल फोन है और पढ़ने वाले बच्चे तीन या चार हैं ऐसे में बच्चों की पढ़ाई किस तरह हो पाएगी हम यह भी जानते हैं कि जम्मू कश्मीर में इंटरनेट अभी तक बहाल नहीं किया गया है तो ऐसे में बच्चों की पढ़ाई किस तरह हो पाएगी इंटरनेट बाहर ना करने के बहुत से कारण है लेकिन इस समय इसका सबसे ज्यादा बुरा असर बच्चों के ऊपर पढ़ रहा है ऐसे में वह किस तरह सीख पाएंगे।
हमारे देश में अधिकांश लोग इंटरनेट के बारे में इतना अधिक नहीं जानते हैं और ऐसे में अगर बच्चे ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई करेंगे तो उन पर नजर रख पाना घर वालों के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि हम सब जानते हैं कि इंटरनेट पर बहुत सारी चीजें है जोकि बच्चों के दिमाग पर गलत प्रभाव डाल सकती हैं ऐसे में बच्चों के ऊपर निगरानी रखना भी बहुत आवश्यक हो गया है। इसके साथ साथ जो उच्च शिक्षा या कोई रिसर्च कर रहे हैं वह भी इस समय में बहुत कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
इंटरनेट या ऑनलाइन शिक्षा के कुछ अच्छे पहलू भी है। आजकल यूट्यूब पर बहुत सारे ऐसे चैनल है जो बच्चों को बिना किसी शुल्क के नियमित रूप से पढ़ा रहे हैं फिर चाहे वह स्कूली शिक्षा हो कॉलेज या किसी अन्य प्रकार की हो। यह मानने योग्य बात है की आज के समय में हम शिक्षा केवल डिजिटल माध्यम से ही ग्रहण कर सकते हैं। परंतु क्या यह सबके लिए संभव है क्योंकि देश में आज भी बहुत से दूरदराज के क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर अभी तक बिजली भी नहीं पहुंच पाई है ऐसे में क्या इंटरनेट या डिजिटल माध्यम से शिक्षा ग्रहण करना संभव हो पाएगा।
हालांकि सरकार इस पर कार्य कर रही है। मेरा मानना यह है की केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारों व पंचायतों नगर पालिकाओं को भी मिलकर काम करना होगा। ऐसे बच्चे या परिवार जिनके घर पर मोबाइल नहीं है या बिजली नहीं पहुंच पाई है सरकार उनकी मदद कर सकती है क्योंकि जैसा कि मैंने पहले बताया शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया है। इसके साथ वह लोग जो समर्थ है वह अन्य लोगों की मदद कर सकते हैं क्योंकि बीमारी के दौरान बड़े से बड़े देश भी अपने घुटने एक चुके हैं।
लेखिका: कमलेश बैंस
बी टेक , एम ए समाजशास्त्र
विजयनगर टुटु शिमला

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