प्रदेश में सियासी उथल पुथल की खबरें तेज़, सिरमौर में कांग्रेस लगा सकती है भाजपा में सेंध

शिमला: सियासी उठापटक के बीच प्रदेश में जहां खीमी राम और इंदु वर्मा ने कांग्रेस में शामिल होकर भाजपा को झटका दिया है वही अब खबरें हैं कि सिरमौर से भी भाजपा को बड़ा झटका लग सकता है। सिरमौर की 5 विधानसभा सीटों पर टिकट को लेकर समर्थक इंतजार में है। तो वही भाजपा को प्रदेश में खून पसीने से जीतने वाले पुराने भाजपाई लंबे समय से अपनी अनदेखी को लेकर पाला बदलने की तैयारी में है।हालांकि अभी ना टिकट बटे हैं और ना चुनाव हुए हैं मगर पहले से अपनी जीत की गारंटी वाले एक मंत्री को हरवा कर खुद मंत्री बनने की लालसा भी पाले बैठे हैं। छल और बल की राजनीति में जहां राष्ट्रीय भाजपा उपाध्यक्ष के पहुंचने पर डैमेज कंट्रोल होना चाहिए था वही यह खाई और बढ़ती नजर आ रही है।

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हालांकि गुटबाजी कांग्रेस में भी चल रही है मगर यहां सिर्फ दो गुटों की लड़ाई है। भाजपा सिरमौर में अंदर खाते कई गुटों में बैठ चुकी है। पांवटा साहिब में मनीष तोमर ने दावेदारी जताई है। तो शिलाई में वीर सिंह राणा भी मैदान में उतरने की तैयारियों में है। राणा को एक नाराज कांग्रेसी नेता का भी समर्थन मिल रहा है। इसके अलावा नाहन विधानसभा क्षेत्र सीट भाजपा की सबसे सुरक्षित सीट मानी जा रही है। मगर यहां भी अटकलें काफी ज्यादा मानी जा रही है। शहर और राजनीतिक गलियारों मेजर जनरल रहे अतुल कौशिक जोकि शिक्षा नियामक आयोग के चेयरमैन हैं उनका नाम भी चर्चा में चल रहा है।

पच्छाद में भी भाजपा के हालात अच्छे नहीं हैं मगर यहां कांग्रेस के भी उतनी अच्छी स्थिति नहीं है। भाजपा से ज्यादा इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की गुटबाजी है। जिसकी मुख्य वजह दयाल प्यारी को माना जा रहा है। ऐसे में यदि जीआर मुसाफिर जिला अध्यक्ष बन जाते हैं और संसदीय चुनावों के लिए उम्मीदवार बनते हैं तो दयाल प्यारी एक मजबूत दावेदार होगी। वही रीना कश्यप को लेकर ना जनता इतनी नाराज है और ना ही ज्यादा खुश है। अपनी पहली पारी में रीना कश्यप क्षेत्र की जनता में अच्छी जगह बनाए हुए हैं। ऐसे में यदि रीना कश्यप को महिला होने के नाते 2022 के बाद मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर कोई घोषणा की जाती है तो निश्चित ही यह सीट भी भाजपा की झोली में जा सकती है। इस विधानसभा क्षेत्र में रीना कश्यप खुद में एक अच्छी छवि के साथ उभरी है। जबकि दिग्गजों की वजह से गिरी पार् के लोग अभी भी काफी नाराज चल रहे हैं। इसका एहसास बाई इलेक्शन में भाजपा फील्ड मार्शल माने जाने वाले ठाकुर महेंद्र सिंह देख चुके हैं।

सबसे ज्यादा भाजपा के हालात श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र में बिगड़े हुए हैं। यहां कांग्रेस के विधायक कूटनीति में अब माहिर हो चुके हैं। इस बार उन्हें ज्यादा खतरा अपने पुराने प्रतिद्वंदी बलबीर चौहान से ही नजर आ रहा है। जिसको लेकर दो नामों पर भाजपा की और से जो चर्चा चल रही है उसको कांग्रेसी ही हवा दे रही है। श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र का भाजपा मंडल काफी कमजोर भी माना जाता है। यही वजह है कि इस बार भी यहां भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ सकता है। यहां एक चेहरा और भी हरिपुरधार क्षेत्र से चर्चा में चल रहा है मगर उस चेहरे की पैरवी अभी किसी के द्वारा नहीं की गई है।

अब यदि बात की जाए गिरी पार को जनजातीय क्षेत्र के दर्जे की मांग की तो यहां एससी एसटी वर्ग क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिलने के खिलाफ चल रहा है। ऐसे में यदि भाजपा इसका क्रेडिट ले लेती है तो एससी एसटी वर्ग सरकार के फेवर में जाएगा या नहीं कहा नहीं जा सकता।
यही नहीं यदि इस क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिल जाता है तो आने वाले समय में जुब्बल चौपाल का क्षेत्र भी भाजपा के गले की फांस बनेगा। चौपाल क्षेत्र के लोग भी खुद को हाटी नाम से जोड़ रहे हैं।

पांवटा साहिब में कांग्रेस पूरी तरह से बैकफुट पर है इस विधानसभा क्षेत्र में मजबूत दावेदारी सुखराम चौधरी की ही मानी जाती है। जातीय समीकरणों के आधार पर भी और किए गए विकास क्षेत्रों को मद्देनजर रखते हुए यह सीट भी भाजपा की सुरक्षित मानी जाती है। मगर यहां अपनों के हाथों ही लुटिया डुबोने की कोशिश की जा रही है। हालांकि टिकट की दावेदारी कोई भी कर सकता है मगर इस दावेदारी में दावेदार के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने वाला खुद को 2 विधानसभा क्षेत्रों में कद्दावर बनाना चाहता है। कहा जा सकता है कि ऐसे समय में यदि भाजपा संगठन अनुशासनात्मक रवैया नहीं अपनाता है तो बगावत और तेज हो सकती है। वही सिरमौर में भाजपा के दो बड़े प्रमुख ऐसे चेहरे भी हैं जो कभी भी पाला बदल सकते हैं।
खबर पुष्ट सूत्रों के आधार पर ही बनाई गई है।