विशेष कथा ।पता नहीं पर आज कैसे चन्द्रशेखर ने ऊमा को गुलाब का फूल देने का सोचा और यह गुलाब सम्मान के भाव से समाहित था। चन्द्रशेखर ऊमा के हाथ की चाय का इंतजार कर रहा था और सोच रहा था कि ऊमा ने किस तरीके से उसके साथ अपनी जिंदगी बिता दी।
जिम्मेदारियों का बोझ और समझदारी की चादर में ऊमा की खुद की खुशियाँ न्यौछावर हो गई। आज चन्द्रशेखर ऊमा से कहना चाहता था कि तुमने मेरी जिंदगी खुशियों के रंगो से भर दी। साथ ही मैं तुमसे माफी भी माँगना चाहता हूँ कि जीवन के जिस समय में तुम्हें उमंगों की उड़ान भरनी थी उस समय मैंने तुम्हारे पंखों को पर नहीं दिए। तुम्हारी भी इच्छाएँ थी कुछ नया करने की, अपनी पहचान बनाने की, घूमने की, मेरे द्वारा सरप्राइज़ गिफ्ट मिलने की, कभी-कभी घर के काम से छुट्टी मारने की।
कभी-कभी मुझे जरूरत थी तुम्हारी अहमियत बताने की कि तुम मेरी जिंदगी कितनी हसीन बनाती हो, पर मैं तुमसे हमेशा उम्मीदों की कसौटी पर बस खरा-खरा उतरने को प्रेरित करता रहा। हर चीज समय पर ही अच्छी लगती है। जब तुम्हारे मनोभाव सजने-सँवरने के थे, खिलखिलाने, मुस्कुराने और गुनगुनाने के थे तब मैं सिर्फ तुमसे अपनी अपेक्षाएँ पूरी कराता गया। तुमने मेरे साथ जीवन जिया नहीं केवल काटा। बच्चों की परवरिश में भी तुम अकेली थी, उनकी देखरेख, पढ़ाई, शिक्षा, खानपान सब तुम्हारी ही ज़िम्मेदारी थी। मैं तो बस परिणाम सुनाने वाला था कि सब कुछ सही हो रहा है या नहीं।
मैंने कभी भी कुछ समय बैठकर तुम्हारे मन की बात नहीं सुनी। तुम्हारे मन का बोझ हल्का नहीं किया। ऐसा समय भी तो आया होगा जब तुम मुझसे कुछ कहना चाहती होगी, पर मैं वह समय नहीं दे पाया। आज उम्र के अंतिम पड़ाव में मैं और तुम शारीरिक अस्वस्थताओं से घिरे हुए है। शरीर में ऊर्जा की कमी है। वो उल्लास, उमंग, कुछ नया करना, गुनगुनाना यह सब अब उतना प्रिय नहीं है। मेरे साथ जुड़कर तुमने यह सब खो दिया। तुम्हारे जहन में हमेशा ही मेरी पसंद-नापसंद का टाइमटेबल था पर मेरी सोच में यह सब नदारद था, इसलिए आज तुम्हें एक सम्मान वाला गुलाब देना चाहता हूँ। यह गुलाब तुम्हारी कर्तव्यनिष्ठा के प्रति मेरा आदरभाव है।
इस लघुकथा से यह शिक्षा मिलती है कि हमें जीवन और जीवन में जुड़े लोगों की कीमत समझने में कभी-कभी बहुत देर लग जाती है और उस समय हम पछतावा तो कर सकते है पर मुड़कर उस समय को नहीं जी सकते। सम्मान और प्रेम वाला गुलाब कभी भी दिया जा सकता है। जिंदगी की बड़ी-बड़ी योजनाओं में छोटी-छोटी चीजों की कीमत को नगण्य न बनाए। कोशिश करें कि यदि कोई आपकी वजह से अपनी दुनिया बदल रहा है तो आप भी उस दुनिया में नई-नई बेहतर यादें जोड़ने के लिए कृतसंकल्पित हो।
*डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)*